बच्चो को बचाएं रंग-भेद से उत्पन्न होने मनोविकारों से
बच्चो को बचाएं रंग-भेद से उत्पन्न होने मनोविकारों से
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हमारे आस पास बचपन से ही यह धारणा बनी हुई हैं, कि यदि कोई लड़की शॉपिंग करती हैं तो वो पिंक रंग ही लेंगी और लड़को के लिए ब्लू ही पसंद आता हैं. इससे सम्बंधित एक शोध में यह पाया गया है कि यदि खिलौनों का रंग लिंग पर आधारित होता है तो इससे बच्चों को आसानी से लिंग पर आधारित होने वाले भेदभाव की तरफ आकर्षित किया जा सकता है और इससे हमारे समाज में लिंग को लेकर होने वाले भेदभाव को कम करने की उम्मीदों को झटका लग सकता है, क्योंकि बच्चे जब एक बार लिंग पर आधारित पहचान को सीख जाते हैं, तब उनका बर्ताव भी उसी तरह का हो जाता है और उनके इस बर्ताव को बदलने में बहुत समय लगता है.

इस शोध में शोधकर्ताओं ने प्री-स्कूल के 129 बच्चों को शामिल किया था. इन बच्चों की उम्र पांच से सात वर्ष थी और इन्हें दो समूहों में विभाजित किया गया था.इसके इस तरह के परिणाम जानकर परिजनों को भी बहुत आश्चर्य हुआ हैं.

अगर आप भी अपनी बेटी के लिए गुलाबी और बेटे के लिए नीले रंग का खिलौना दिलाने की सोच रहे हैं, तो थोड़ी सावधानी की जरूरत है, क्योंकि अनजाने में ही आप बेटे-बेटी में भेदभाव कर रही हैं जिसका उनके मन पर गहरा असर होता हैं.

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