नई दिल्ली : देश के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उस युवती की दया याचिका को खारिज कर दिया है, जिसने अपने प्राणों की भीख मांगी थी। जिस युवती की दया याचिका खारिज की गई है, उस शबनम नामक युवती ने अपने ही माता पिता सहित परिवार के अन्य सात लोगों की बेरहमी से हत्या कर मौत की नींद सुला दिया था। राष्ट्रपति के पूर्व उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने भी शबनम की दया याचिक को खारिज कर दिया था। अब शबनम को कभी भी फांसी पर लटकाया जा सकता है।
पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ हत्या की वारदात को अंजाम दिया था। इन दोनों ने मिलकर माॅं बाप सहित दोनों भाईयों और भाभियों के अलावा अन्य परिजनों की हत्या कर डाली थी। बताया जाता है कि यह मामला 14 अप्रैल 2008 के दौरान गाॅंव बावनखेडी का है। हत्या के मामले में दोषी सिद्ध होने के बाद आरोपियों को फांसी की सजा हुई थी।
जिला न्यायालय द्वारा फांसी की सजा देने के बाद हाईकोर्ट ने भी सजा को कायम रखा था वहीं इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी, लेकिन वहां से भी फांसी की सजा बरकरार रखने के आदेश जारी किये गये। प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते मई माह में जिला जज की ओर से डेथ वारंट भी जारी कर दिया था, लेकिन इसके बाद शबनम ने पहले राज्यपाल और फिर राष्ट्रपति से अपने प्राणों की भीख मांगी थी, लेकिन दोनों ने ही उसकी दया याचिका को खारिज कर दिया।
घर वालों को नहीं था पसंद
बताया जाता है कि शबनम को आरा मशीन चलाने वाले सलीम से प्रेम हो गया था और वह उससे हर हाल में शादी करना चाहती थी, लेकिन शबनम के परिजनों को यह सब नामंजूर थे तथा शबनम का विरोध किया जाता था। बताया गया है कि शबनम अपने परिजनों से इस बात से लेकर नाराज थी और इसके बाद उसने सलीम के साथ अपने ही परिजनों की हत्या करने की योजना को अंजाम दे दिया। पुलिस के अनुसार शबनम के गर्भ में बेटा भी पल रहा था, जिस वक्त उसने अपने परिवार वालों की हत्या की थी। बाद में जेल में ही उसने बेटे को जन्म दिया और बेटे का वास्ता देकर ही शबनम ने राष्ट्रपति से दया की भीख मांगी थी।
जिगिशा हत्याकांड: दो आरोपियों को हेंग टिल डेथ, एक को उम्र कैद