इंदिरा कैंटीन से निराश होने लगे लोग
इंदिरा कैंटीन से निराश होने लगे लोग
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कुछ अर्सा पहले जब कर्नाटक की सरकार ने इंदिरा कैंटीन शुरू किया था तो लोगों को लगने लगा था, कि अनुदान के भोजन से अब शहर में कोई भूखा नहीं रहेगा. लेकिन दो माह में ही इंदिरा कैंटीन में अव्यवस्थाएं देखने को मिल रही है.लोग कतार में लगने के बावज़ूद मायूस होकर भूखे लौटने को मजबूर हो रहे हैं.

इस बारे में एक अंग्रेजी अखबार की पड़ताल में यह बात सामने आई कि शहर के 1.8 लाख लोगों का इंदिरा कैंटीन पेट जरूर भर रही है, लेकिन व्यवस्थाएं सही नहीं है.मिसाल के तौर पर इंदिरा कैंटीन नंबर 111 को लिया जा सकता है जो इस योजना की पोल खोल रही है. यहां लंच तय वक्त तक तैयार ही नहीं हुआ था.कैंटीन चलाने वाले इस कोशिश में थे कि लंच को सही समय पर शुरू किया जाए,क्योंकि लोग लंच लेने के लिए कतारों में लगे हुए थे.

हालांकि इस मामले में ठेकेदार मेलरप्पा की परेशानी को भी समझना जरुरी है.6 साल से कैटरिंग का व्यवसाय करने वाले मेलरप्पा ने बताया कि वो नाश्ते और लंच में रोजाना चार-चार सौ प्लेट सर्व करते हैं, लेकिन रात को डिनर के समय उनकी सौ प्लेट खाना बिना बिके रह जाता है. जिसे फेंकना ही पड़ता है.इस कारण उन्हें रोजाना 800 से 1000 रुपये का नुकसान हो रहा है. इन हालातों में कैंटीन कैसे चलाना यह विचारणीय हो गया है.

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