माँ नवदुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी माँ की कठोर तपस्या
माँ नवदुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी माँ की कठोर तपस्या
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माता रानी दुर्गा के इन नौ दिनों में हम माँ के नौ रूपों का दर्शन कर सकते है। पर यदि हम नहीं कर पा रहे है। तो कोई बात नहीं हम केवल माँ दुर्गा के दर्शन से और उनके नौ रूपों की आराधना करने से मंत्रो का जाप करने से ही मानो सभी रूपों का दर्शन कर चुके है। क्योंकि माँ दुर्गा के ही ये नौ रूप है माँ के इस रूप के दर्शन मात्र से आपके जीवन मे खुसियाँ भर जायेगी ।

माँ दुर्गा का यह दूसरा रूप जिसे हम कठोर तप और ध्यान की देवी "ब्रह्मचारिणी" के नाम से जानते है ब्रह्मचारिणी माँ की उपासना नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है।

देवी ब्रह्मचारिणी- 

माँ पार्वती को ही ‘ब्रहाचारिणी’ कहा गया है क्योंकि जब माँ पार्वती भगवान शिव को अपने पति के रूप में देखना व उन्हे पाना चाहती थी तब माँ ने शिव के लिए कठोर तपस्या की थी। तपस्या के सबसे पहले चरण में माँ ने केवल फलों का सेवन किया था। फिर बेल पत्र खाना प्रारम्भ किया और फिर उनकी तपस्या और भी कठिन हो गई अंत में माँ बिन कुछ खाये पिये निराहार रहकर कई वर्षो तक शिव को पाने के लिये घोर तपस्या करती रहीं उनकी इस कठोर तपस्या को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो गये और उनको मन चाहा वरदान दे दिया माँ ने दाहिने हाथ में जप की माला और बाएँ हाथ में एक कमण्डल धारण किया है। 

माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना के लिए यह मंत्र है- 

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥ 

माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा में उपयोगी सामग्री- 

माँ दुर्गा के इस दुसरे रूप का ध्यान करते हुये दूसरे दिन चीनी का भोग लगाना चाहिए और ब्राह्मण को अनाज दान करते समय साथ में चीनी भी दान करनी चाहिए। यदि आप ऐसा करते है। तो आप लंबी आयु को प्राप्त करेगें आपके जीवन मे धन संपदा और खुसियों का भंडार भरा रहेगा। 

माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से मनुष्य के जीवन में तप, त्याग, सदाचार आदि की वृद्धि होती है। वह हमेशा सुख शांति से अपना जीवन व्यतीत कर सकता है समस्याओं से मुक्ति व जीवन में सफलता को हासिल करेगा।

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