समस्त हिन्दू देवी – देवताओ में महादेव शिव के वेशभुसा सबसे विचित्र और रहस्मयी है तथा आध्यात्मिक रूप से भगवान शिव के इस वेश और रूप में अत्यन्त गहरे अर्थ छिपे हुए है. पुराणों के अनुसार भगवान शिव के वेश-भूसा से जुड़े इन प्रतिको के रहस्यों को जान लेने पर मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. भगवान शिव की वेश-भूसा ऐसी है की हर धर्म का व्यक्ति उसमे अपना प्रतीक ढूढ़ सकता है.
आइये जानते है क्या है शिवजी के मस्तक पर चंद्रमा धारण करने का रहस्य
मस्तक पर चन्द्र का विराजमान होना :- भगवान शिव के मस्तक में चन्द्रमा विराजित होने के कारण वे भालचन्द्र के नाम से भी प्रसिद्ध है. चन्द्रमा का स्वभाव शीतल होता है तथा इसकी किरणे शीतलता प्रदान करती है. ऐसा अक्सर देखा गया है की जब मनुष्य का दिमाग शांत होता है तो वह बुरी परिस्थितियों का और बेहतर ढंग से सामना करता है तथा उस पर काबू पा लेता है वही क्रोधी स्वभाव वाले मनुष्य की परेशानियां और अधिक बढ़ जाती है.
ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा को मन का प्रतीक माना गया है तथा मन की प्रवृति बहुत चंचल होती है. मनुष्य को सदैव अपने मन को वश में रखना चाहिए नहीं तो यह मनुष्य के पतन का कारण बनता है. इसी कारण से महादेव शिव ने चन्द्रमा रूपी मन को काबू कर अपने मस्तक में धारण किया है.