दुल्हन श्रृंगार का सिरमोर मांग-टिका
दुल्हन श्रृंगार का सिरमोर मांग-टिका
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दुनिया में शायद ही कोई देश होगा जन्हा विवाह के रीती रिवाज़ में इतनी विविधता होती है | भारतीय संस्कृति सामान भारतीय विवाह पध्यती भी समृद्ध और विस्तृत है, और यंहा कपड़ो से लेकर श्रृंगार तक में अलग अलग नीती नियम है| उन्ही नियमों में से एक नियम है भारतीय श्रृंगार एवम आभूषण पध्यती|

हमारे पूर्वजो ने नव-वधु के लिये आभूषण के जो प्रकार एवम शास्त्रीय आधार दिए थे, उनमे से एक है दुल्हन की मांग का टिक्का | शगुन का पहला तोफ्फा जो वर पक्ष से दुल्हन को दिया जाता है, उसमे मांग-टिका, नथ, हार, चूड़ी, पायजब-बिछिया ये 5 जेवर दिये जाते है| और इन्हे दुल्हन को देना अनिवार्य होता है| बिना मांग-टिका के शगुन अधुरा ही माना जाता है| सुहाग आभूषणों में शीर्ष स्थान और अनिवार्यता के कारण स्त्रिया इस आभूषण के प्रति विशेष आस्था रखती है |

मांग टिके की सार्थकता :-

माथे पर चमकती गोल बिंदी और मांग में सिन्दूर की लाली के साथ मांग टिका सुहागन होने की निशानी माना जाता है| चांदी या सोने का बना मांग टीका सूरज की हानिकारक किरणों से त्वचा का बचाव करता है और अत्यधिक गरमी में अल्ट्रावॉयलेट किरणों को जज्ब कर लेता है।

यह एक प्रकार से प्रेशर पॉइंट पर दबाव भी बनाए रखता है, जिससे मस्तिष्क में शांति बनी रहती है। विवाह उपरान्त सभी मांगलिक कार्यक्रम, व्रत, यज्ञ, उपवास, पूजा, में मांग टिक्का पहनके ही सुहागने अपने अपने दायित्वा निभाती है|      

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