ज्ञान विज्ञान : योजना आयोग की जगह नीति आयोग क्यों बना ?
ज्ञान विज्ञान : योजना आयोग की जगह नीति आयोग क्यों बना ?
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आपके लिए निति आयोग और योजना आयोग को जानना हैं बेहद जरूरी .स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किए गए एक महत्वपूर्ण घोषणा के अनुसार, केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग की जगह नीति आयोग (बदलते भारत के लिए राष्ट्रीय संस्थान) की स्थापना की। ऐसा हितधारकों जिसमें राज्य सरकारें, विषय विशेषज्ञों और प्रासंगिक संस्थान शामिल थे, के बीत व्यापक विचार विमर्श के बाद किया गया है।

योजना आयोगः

इसकी स्थापना यूएसएसआर (भूतपूर्व सोवियत संघ) की तर्ज पर देश में पांच योजनाएं बनाने के लिए परामर्श दात्री संस्थान के तौर पर 15 मार्च 1950 को हुई थी।

योजना आयोग के कार्यः

देश के भौतिक, पूंजीगत और मानव संसाधनों का अनुमान लगाना।
मानव संसाधन के कुशल एवं संतुलित उपयोग हेतु योजना तैयार करना।
योजना के विभिन्न चरणों का निर्धारण करना और प्राथमिकता के आधार पर संसाधनों के आवंटन का प्रस्ताव देना।

नीति आयोग: एक परिचय

नीति आयोग का गठन "विकास प्रक्रिया में महत्वपूर्ण मार्गदर्शक एवं रणनीतिक इनपुट प्रदान" करने के लिए किया गया है। यह एक "थिंक टैंक" की तरह काम करेगा और नीतिगत मामलों में केंद्र और राज्यों को परामर्श देगा। अंतर– मंत्रालयी सहयोग और केंद्र–राज्य समन्वय (सहकारी संघवाद) को बेहतर कर यह आयोग नीतियों की धीमी और मंद कार्यान्वयन को समाप्त करना चाहता है। प्रधानमंत्री इसके पदेन अध्यक्ष हैं और उपाध्यक्ष श्री अरविन्द पनगढ़िया है जबकि मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत हैं।

नीति आयोग के कार्य

राष्ट्रीय लक्ष्यों के आलोक में राज्यों की सक्रिए भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकता क्षेत्रों और रणनीति का साझा दृष्टिकोण विकसित करना, निरंतर आधार पर राज्यों के साथ संरचित समर्थन पहलों और तंत्रों के माध्यम से सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना। इस बात को स्वीकारना की मजबूत राज्य, मजबूत राष्ट्र का निर्माण करता है, गांव स्तर पर विश्वसनीय योजना तैयार करने और सरकार के उच्च स्तर पर उत्तरोत्तर इनको एकत्र करने के लिए तंत्र विकसित करना।

यह सुनिश्चित करना कि जो क्षेत्र खास तौर पर नीति आयोग को दिए गए हैं,उनमे आर्थिक रणनीति और नीतियों में राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को शामिल किया गया है, हमारे समाज के कुछ वर्गों, जिन पर आर्थिक प्रगति से पर्याप्त रूप से लाभान्वित न होने के का खतरा हो, पर विशेष ध्यान देना।

रणनीतिक और दीर्धकालिक नीति एवं कार्यक्रम की रूपरेखा और पहलों का डिजाइन तैयार करना और उनकी प्रगति एवं प्रभावकारिता पर नजर रखना। निगरानी और प्रतिक्रिया से मिली सीख का प्रयोग बीच में किए जाने वाले अनिवार्य सुधारों समेत नए सुधारों में किया जाएगा।

 

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