नेहरूवादी माॅडल की असफलता का परिणाम है कश्मीर
नेहरूवादी माॅडल की असफलता का परिणाम है कश्मीर
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जम्मू : केंद्र सरकार इन दिनों नेहरूवादी माॅडल की आलोचना करने में लगी है। केंद्र सरकार का मानना है कि नेहरू का माॅडल सफल नहीं रहा जिसके कारण आर्थिक तौर पर तो देश को नुकसान हुआ और भूतपूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहा राव के माध्यम से आर्थिक उदारीकरण को लाना मजबूरी रहा। इतना ही नहीं जम्मू कश्मीर के मामले में भी नेहरू माॅडल असफल रहा। इस मामले में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी नेहरू माॅडल की आलोचना की।

दरअसल वे जम्मू के बाहरी क्षेत्र में आयोजित किए गए जरा याद करो कुर्बानी रैली में भाग ले रहे थे। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने नेहरू पर निशाना साधा। इस मामले में जितेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर नेहरू के ऐसे माॅडल का उदाहरण है जो कि सफल नहीं रहा। उन्होंने उपस्थितितों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्रीय वित्तमंत्री अरूण जेटली ने अर्थव्यवस्था के असफल नेहरूवादी माॅडल की चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि नेहरू के माॅडल का असफल उदाहरण कश्मीर का प्रबंधन है।

उन्होंने कहा कि तत्कालीन महाराज हरी सिंह के अधीन जम्मू का क्षेत्र था। 2.25 लाख वर्ग किलोमीटर के इस क्षेत्र में से भारत को 1 लाख वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र मिल पाया यह नेहरू के असफल माॅडल का ही परिणाम था। दरअसल गिलगिट, बाल्टिस्तान और पीओके कश्मीर के क्षेत्रफल के तहत हैं मगर ये पाकिस्तान के अधिकार वाले क्षेत्र में चले गए हैं। महाराजा नेहरू से नाराज थे। इसी कारण वे नहीं चाहते थे कि वे कभी जम्मू-कश्मीर वापस जाऐं। उन्होंने मुंबई में ही अंतिम सांस ली थी।

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