त्रिपुरा में भाजपा की जीत के निहितार्थ
त्रिपुरा में भाजपा की जीत के निहितार्थ
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आज का दिन भाजपा के लिए बेहद खास होने के साथ ही खुश होने का दिन है .पिछले 25 साल से त्रिपुरा में लेफ्ट की सरकार के खिलाफ आए इस जनादेश के कई निहितार्थ हैं. यह इस छोटे राज्य में भाजपा की पैठ के साथ ही वैचारिक जीत भी है , जिसके लिए पार्टी ने अपने कई युवा कार्यकर्ता को खोया है ,जिनकी हत्या कर दी गई थी . पूर्वोत्तर के इस छोटे राज्य में भाजपा लम्बे अर्से से संघर्ष कर रही थी.जिसका सुखद प्रतिफल आज मिला है. जीत के बाद बीजेपी इस राज्य में निश्चित ही विकास की नई इबारत लिखेगी.

बता दें कि करीब 25 सालों से त्रिपुरा में माणिक सरकार सीएम बने बैठे हैं. उनकी छवि भी बेदाग रही इसी कारण इतने सालों तक सत्ता में बने रहे, लेकिन इस बार 46 साल बाद भाजपा पहली बार अपने आक्रामक चुनाव अभियान के साथ मैदान में उतरी. पीएम मोदी और अमित शाह को इस प्रचार अभियान का चेहरा बनाया गया .जिसका नतीजा सबके सामने हैं.यहां कांग्रेस का प्रदर्शन लचर रहा.25 साल तक सत्ता से बाहर रहने के बाद भी कोई नेतृत्व नहीं उभर सका.

आपको यह जानकारी दे दें कि पूर्वोत्तर के तीन राज्यों की विधान सभा सीटों की संख्या 60 है .त्रिपुरा में 25 लाख मतदाता थे जिनमें से 89 .8 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. यदि पिछले तीन चुनावों की बात करें तो 2003 में सीपीएम को 46 .8 , कांग्रेस 32 .8 फीसदी और बीजेपी को 1 .3 फीसदी मत मिले .वहीं 2008 में क्रमशः 48 , 36 .4 और 1 .5 प्रतिशत मत मिले. इसी तरह 2013 में सीपीएम को 48 .1,कांग्रेस 36 .5 और बीजेपी को 1 .5 फ़ीसदी मत मिले . लेकिन 2018 के चुनाव परिणामों ने भाजपा के ग्राफ को एकदम ऊपर पहुंचा दिया और जीत को उसकी झोली में डाल दिया. अभी आज घोषित त्रिपुरा के नतीजों के औपचारिक आंकड़े नहीं मिले हैं , लेकिन यह तो तय हो गया है कि बीजेपी ने इस राज्य में अपनी सरकार बनाने का सपना पूरा कर लिया है.

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