सज गए पशुधन- करेंगे गोवर्धन पूजन
सज गए पशुधन- करेंगे गोवर्धन पूजन
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नई दिल्ली। भारत में दीपावली के अलगे दिन गोवर्धन पूजन का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व भारत की ग्राम संस्कृति का परिचय देता है। दरअसल इस पर्व को भगवान श्रीकृष्ण की आराधना के तौर पर मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण से जुड़े एक प्रसंग की स्मृति में यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन ग्रामीण अपने पशुओं को सजाकर पशुधन का पूजन करते हैं साथ ही गोवर्धन पर्वत का प्रतीकात्मक तौर पर पूजन होता है।

गौरतलब है कि गोवर्धन पूजन को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह रहता है। इस दिन कुछ स्थानों पर श्रद्धालु गोवर्धन पर्वत का प्रतीकात्मक तौर पर पूजन किया जाता है। आज बड़े पैमने पर श्रद्धालु पूजन की तैयारियों में लगे हैं। गोबर या गेरू से लीपे हुए आंगन में मिट्टी, गोबर आदि सामग्री से निर्मित गोवर्धन का पूजन किया जाता है। इस दिन श्रद्धालु पशुधन का तो पूजन करते ही हें साथ ही भगवान श्रीकृष्ण को धन्यवाद देते हैं और अन्नकूट का आयोजन होता है। आज भी सुबह से ही श्रद्धालुओं द्वारा गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जा रहा है।

गोवर्धन पूजन के लिए सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में जागकर श्रद्धालुओं के अभ्यंग स्नान का विधान है। श्रद्धालुओं द्वारा तेल से मालिश करने के बाद स्नान करना चाहिए। इतना ही नहीं पवित्र व हो सके तो नए परिधान पहनकर इष्ट का ध्यान करना चाहिए। इसके साथ ही अन्य देवी देवताओं का पूजन अर्चन किया जाना चाहिए। भगवान श्री गोवर्धन का प्रतीकात्मक पूजन किया जाना चाहिए। इस दौरान वृक्ष, वृक्ष की शाखा और पुष्प आदि से भगवान का श्रृंगार किया जाना चाहिए।

भगवान को कुमकुम, अक्षत पुष्प अर्पित करना चाहिए। दीपावली की रात्रि को गायों का स्नान करवाया जाना चाहिए। स्नान के बाद पशु धन को सजाने का क्रम प्रारंभ किया जाता है। इस क्रम में बैलों, गायों और बछड़ों का पूजन किया जाता है। बैलों व गायों के सिंग पर रंग लगाया जाता है तो उनपर छापे बनाए जाते हैं। सिंगों पर विभिन्न तरह की आकर्षक सामग्री लगाई जाती है। बैलों की रस्सियों, घुंघरूओं को बदला जाता है और बेलों को हल में नहीं जोता जाता है।

बैलों से आज के दिन किसी तरह का काम नहीं लिया जाता है। पशुधन का पूजन कर श्रद्धालु उनके प्रति श्रद्धाभाव प्रकट करते हैं। तो दूसरी ओर गोवर्धन पूजन के माध्यम से प्रकृति प्रेम को दर्शाया जाता है। जहां इंद्र के कोप से भगवान श्रीकृष्ण के गोवर्धन पर्वत को उठाने के प्रसंग का स्मरण हो जाता है वहीं प्रकृति प्रेम की शिक्षा लोगों को दी जाती है। गोवर्धन पूजन के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा व्रत रखा जाता है और गोवर्धन पूजन की कथा लोगों को सुनाई जाती है।

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