'सत्यमेव जयते' का निर्माण...
'सत्यमेव जयते' का निर्माण...
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'सत्यमेव जयते' का निर्माण, बातो-बातों में दो लोगो के मध्य समझने-समझाने का दौर चल निकलता है तो मंदिर, मस्जिद, मयखाने में से किसी की आवश्यकता नहीं. दुनिया के शब्दकोष में असंख्य शब्द मगर फिर भी मौन भाषा सर्वश्रेष्ठ की श्रेणी में शुमार होती है, हजारो रंगों में सफ़ेद रंग आधार बन कर उभर जाता है.

छप्पन पकवान के साथ उपवास भी अनिवार्य माना जाता है, बगैर चश्मे के मन की आँखों से दूर-दूर तक देखा जा सकता है, परामर्श से महत्वपूर्ण तो अंतरात्मा की गवाही मानी जाती है, अनगिनत प्रलोभन भी सिद्धान्त के आगे नतमस्तक हो जाते है, किसी भी काम को करते-करते ईश्वर को धन्यवाद कहना लाज़मी है, क्योंकि अनेक लोगो के पास काम नहीं है अथवा काम होते हुए भी करने में असमर्थ है.

आस्तिक या नास्तिक होने की बजाय वास्तविक होना सर्वोत्तम धर्म है...धर्म का अर्थ व्यापक होता है और यह भी सत्य ही है कि धर्म सत्य की राह पर चलने का ही कर्तव्य बोध कराता है तथा यह कहा जाता है कि जो लोग धर्म और सत्य की राह पर चलते है उनकी सदैव विजयी होती है।

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