इस देश में बच्चों को भी इच्छा मृत्यु का अधिकार
इस देश में बच्चों को भी इच्छा मृत्यु का अधिकार
Share:

दिल्ली: आज यानी शुक्रवार को इच्छा मृत्यु के मामले पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे सशर्त मंजूरी दे दी है. सुनवाई के दौरान संविधान पीठ ने 'राइट टू लाइफ' में गरिमापूर्ण जीवन के साथ-साथ गरिमामय ढंग से मृत्यु के अधिकार की बात को शामिल करते हुए अपना फैसला दिया. मगर बेल्जियम की संसद ने इस तरह का कानून 2014 में पास किया. हालांकि इच्छा मृत्यु का कानून इस देश में वर्ष 2002 में ही पास हो चुका था.

वर्ष 2016 में वहां पहली बार एक किशोर ने इच्छामृत्यु ली. उसकी उम्र 17 साल थी. वह मरणासन्न तौर पर बीमार था. हालांकि बेल्जियम में भी ये बिल आसानी से पास नहीं हुआ. इसको लेकर लोगों में गुस्सा भी था. जब ये बिल पास हुआ तब भारी भीड़ संसद के बाहर विरोध में प्रदर्शन कर रही थी, उसमें बच्चे भी थे. बहुत से लोगों ने सवाल किया कि क्या बच्चों में इतना बड़ा फैसला लेने की क्षमता होती है.

वही नीदरलैंड्स में 12 साल के बच्चों तक को ये सुविधा हासिल है. उनके लिए जो अति पीड़ा और लाइलाज बीमारी से ग्रस्त हों और इस कारण इच्छा मृत्यु का विकल्प चुनना चाहते हों. कानून में कहा गया कि एक मनोचिकित्सक तय करेगा कि मरीज अपना जीवन खत्म का फैसला स्वतंत्र रूप से लेने के लिए तैयार है या नहीं. फैसले को अंतिम रूप देने के लिए माता पिता की सहमति जरूरी होगी.

इच्छामृत्यु को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया

आरुषी मर्डर: तलवार दम्पति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची CBI

कितना सही है आधार, आशंका अभी भी बरक़रार

 

 

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -