अजहर के इस एक फैसले ने बदली सचिन की जिंदगी
अजहर के इस एक फैसले ने बदली सचिन की जिंदगी
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दिल्ली: क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर के लिए 27 मार्च का दिन बहुत खास है. 27 मार्च 1994 तक सचिन तेंदुलकर टीम इंडिया के लिए वनडे क्रिकेट में भी मध्यक्रम में बल्लेबाजी करते थे. तब तक न सचिन को मास्टर ब्लास्टर की उपाधि मिली थी, और न ही तब तक कोई मैच देखते हुए ये पूछता था कि सचिन खेल रहे हैं या आउट हो गए. उस समय तक भारत के लिए ओपनिंग करने की जिम्मेदारी अजय जडेजा, संजय मांजरेकर और नवजोत सिंह सिद्धू जैसे बल्लेबाजों की थी.

बता दें 1994 में टीम इंडिया न्यूजीलैंड के दौरे पर थी. बात टेस्ट सीरीज के दूसरे मैच की थी. ये मैच 27 मार्च को ऑकलैंड में खेला गया. लेकिन मैच से ठीक पहले सलामी बल्लेबाज नवजोत सिंह सिद्धू अनफिट घोषित हो गए. टीम के सामने ओपन करने की समस्या खड़ी हो गई. ऐसे में टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने एक अप्रत्याशित फैसला करते हुए पारी की शुरुआत करने की जिम्मेदारी अजय जडेजा के साथ सचिन तेंदुलकर को दी. 

पारी की शुरुआत करने अजय जडेजा और सचिन तेंदुलकर उतरे. अजय जडेजा तो जल्दी आउट हो गए. लेकिन लगा जैसे कि सचिन तो इसी मैच की ताक में बैठे थे. उन्होंने 49 बॉल में 82 रनों की पारी खेलकर टीम इंडिया को शानदार जीत दिलाई. यहीं से विश्व क्रिकेट का इतिहास हमेशा के लिए बदल गया. दुनिया ने ऊपरी क्रम में सचिन का वह रूप देखा, जिसका इंतजार वर्ल्ड क्रिकेट हमेशा से कर रहा था. सचिन ने बल्लेबाजी का एक नया इतिहास रच दिया. 1994 में उन्होंने पहला वनडे शतक लगाया और 4 साल में ही 1998 में आकर उन्होंने वनडे में सबसे ज्यादा शतकों के डेसमंड हेंस के रिकॉर्ड को तोड़ दिया.

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