एक नज़र पश्चिमी सभ्यता के महाकाव्य इलियड पर
एक नज़र पश्चिमी सभ्यता के महाकाव्य इलियड पर
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ग्रीक कवि होमर के लिखे महाकाव्य इलियड को पश्चिमी सभ्यता का महाभारत भी कहा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जिस प्रकार महर्षि वेदव्यास ने गणेशजी को बोलकर महाभारत लिखवाया था, ठीक उसी तरह होमर ने भी अपने महाकाव्य इलियड ला लेखन याददाश्त की बेटी म्यूज़ेज़ को बोलकर करवाया था. इलियड को पश्चिमी सभ्यता के कालखंड का बुनियादी महाकाव्य कहा जाता है.इस कालखंड कि कहानी में एक ग्रीक राजकुमारी हेलेन, अपने पति को छोड़कर ट्रॉय के राजकुमार के साथ भाग जाती है और इस बात का बदला लेने के लिए सारे ग्रीक राजा अपनी सेना के साथ ट्रॉय के सुल्तान प्रायम की सल्तनत पर हमला बोलते हैं यह उसकी कहानी है.

माना जाता है कि ट्रॉय का युद्ध माइसीन यानी कांस्य युग में हुआ था और इस जंग के क़िस्से पांच सौ सालों तक सुनाए जाते थे. इसके बाद जो युग आया उसे अंधकार का युग कहा जाने लगा. यह महाकाव्य एक युद्ध की दास्तान बयान करने के साथ-साथ सदियों पहले की घटना की याद को सदैव के लिए बनाए रखने के लिए भी मशहूर है. ट्रॉय और ग्रीक राजाओं के बीच यह युद्ध करीब दस सालों तक चला.

होमर के इस महाकाव्य इलियड के ज़रिए ऐसे सांस्कृतिक ताने-बाने को बुना, जिसने लोगों को मौत और नैतिकता, धर्म और इलाक़ाई पहचान से रूबरू कराया. होमर ने अपने महाकाव्य में जिस तरह से दैवीय किरदार गढ़े, उससे यूनानियों के पूजा करने के तरीक़े में काफ़ी बदलाव आया. पांचवीं सदी के इतिहासकार हेरोडोटस ने लिखा है कि होमर ने कवि हेसियोड के साथ मिलकर यूनानियों के लिए देवताओं के किरदार गढ़े और उन्हें इंसानी नाम दिए.आज हम उन ग्रीक देवताओं को उसी रूप में जानते हैं, जिनका ज़िक्र होमर ने किया था.

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