सरकार के खिलाफ 53 इतिहासकारों ने भी खोला विरोधी मोर्चा
सरकार के खिलाफ 53 इतिहासकारों ने भी खोला विरोधी मोर्चा
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बार फिर देश में सांप्रदायिक माहौल निर्मित होने को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। साहित्यकारों द्वारा विरोधी आंदोलन करने के बाद अब इतिहासकार भी मैदान में आ गए हैं। जिसमें यह बात कही जा रही है कि इतिहासकारों द्वारा दादरी घटना, बीफ मसलों को उठाए जाने और अन्य मसलों को लेकर विरोध किया गया। इतिहासकारों का कहना है कि विरोध को लेकर पुरस्कार लौटाए जा रहे हैं। ऐसे में इन परिस्थितियों को लेकर किसी तरह की टिप्पणी नहीं की जा रही है। जिस कारण विरोध किया गया। 

साहित्यकारों के बाद अब इतिहासकार परेशान हो उठे हैं देश में अराजकता और वैमनस्य की स्थिति निर्मित होने और लगभग हर दिन बीफ मसले पर बयानबाजी होने को लेकर इतिहासकार अपना विरोध जताने में लगे हैं। दूसरी ओर यह भी कहा गया है कि मुंबई में पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम का जिस तरह से विरोध किया गया वह ठीक नहीं था।

सुधींद्र कुलकर्णी पर स्याही फैंकने का भी इतिहासकारों ने विरोध किया। विरोध करने वाले साहित्यकारों में रोमिला थापर, इरफान हबीब, केएन पन्निकर, मृदुला मुखर्जी समेत 53 साहित्यकार शामिल रहे। हालांकि यह बात भी कही जा रही है कि साहित्यकारों का आंदोलन टूटने के बाद इतिहासकारों का आंदोलन कितना कारगर होता है यह तो भविष्य पर ही निर्भर है। 

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