भोपाल/ब्यूरो। मध्यप्रदेश के सभी 528 शासकीय महाविद्यालय और 16 शासकीय विश्वविद्यालय भारत सरकार के एनआईसी के ई-ग्रंथालय सॉफ्टवेयर से सीधे जुड़ेंगे। सॉफ्टवेयर से विद्यार्थियों को दुर्लभ पुस्तकें भी डिजिटल फॉर्मेट में मिलेंगी। उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर मोहन यादव की उपस्थिति में मंत्रालय में एनआईसी और उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इस सम्बन्ध में एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि इससे उच्च शिक्षा में अध्ययनरत प्रदेश के 16 लाख विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ यादव ने कहा कि इस सॉफ्टवेयर से विद्यार्थियों को दुर्लभ पुस्तकें भी डिजिटल फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उपलब्ध हो सकेगी। इससे अकादमिक गुणवत्ता में सुधार होगा। इस दौरान अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा शैलेन्द्र सिंह, आयुक्त दीपक सिंह, सुनील सिंह, एनआईसी के उप महानिदेशक अमर कुमार सिन्हा, वरिष्ठ तकनीकी निदेशक कमलेश जोशी, ई-ग्रंथालय प्रोजेक्ट के राज्य समन्वयक जितेंद्र पाराशर उपस्थित रहे।
आपको बता दें कि वर्तमान में देश के 28 हजार शिक्षण संस्थान ई-ग्रंथालय सॉफ्टवेयर से जुड़े हैं। यह मोबाइल पर भी उपलब्ध है। विद्यार्थी ऑनलाइन पंजीयन कर इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं । महाविद्यालय और विश्वविद्यालय के पुस्तकालयों में उपलब्ध संसाधनों को इस पर अपलोड किया जा सकता है, जिसमें अन्य महाविद्यालय, विश्वविद्यालय उनका लाभ ले सकें। एनआईसी के अधिकारियों ने बताया कि सॉफ्टवेयर के उपयोग को लेकर महाविद्यालय की लाइब्रेरी में पदस्थ स्टाफ और प्राध्यापकों को प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा। बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए। पांच प्रतिशत पदों पर सहायक प्राध्यापकों की नवीन भर्ती के प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए। प्राध्यापकों को 10 हजार ग्रेड-पे दिए जाएंगे। साथ ही भूमिहीन महाविद्यालयों को भूमि उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
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