अयोध्या की 14 कोसी परिक्रमा आज से शुरू, जानें आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्त्व
अयोध्या की 14 कोसी परिक्रमा आज से शुरू, जानें आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्त्व
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अयोध्या: कार्तिक परिक्रमा मेला का शुभारंभ होने वाला है। कार्तिक सुदी नवमी के पर्व पर आज मंगलवार (1 नवंबर) को रात्रि 1.09 अष्टमी के समापन के उपरांत नवमी शुरू होगा, जो बुधवार रात्रि 10.37 तक रहेगी। नवमी लगने के साथ 14 कोसी परिक्रमा के साथ साप्ताहिक मेला का भी श्री गणेश हो जाएगा। इस परिक्रमा में शामिल होकर अक्षय पुण्य के भागीदार बनने के लिए रामनगरी अयोध्या में भक्तों का आगमन आरंभ हो चुका है। मंदिरों, धर्मशालाओं से लेकर लॉज और आम नागरिकों के घरों पर भी हजारों की संख्या में भक्त पहुंच चुके हैं।

इस मेले में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस-प्रशासन ने जोनल और सेक्टर मजिस्ट्रेटों को तैनाता कर दिया है, साथ ही डायवर्जन प्लान भी जारी कर दिया है। बताया जा रहा है कि इस बार बड़ी संख्या में श्रद्धालु 14 कोसी परिक्रमा के लिए अयोध्या पहुंचेंगे। हालांकि एक दिन पहले ही वरिष्ठ अधिकारियों व सांसद सहित जनप्रतिनिधियों ने पूरे रूट का मुआयना किया है, इसके बाद भी सोमवार की शाम तक व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पाई थी। परिक्रमा में किसी भी श्रद्धालु को समस्या न हो, इसके लिए प्रशासन ने सभी विभागों को अलर्ट कर दिया गया है। इस बीच अन्तर्राष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय में मेला नियंत्रण कक्ष शुरू हो चुका है। पूरे मेला क्षेत्र की निगरानी भी CCTV कैमरों से की जा रही है और ध्वनि विस्तारण यंत्र के माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान भी हो रहा है। 

14 कोसी परिक्रमा का वैज्ञानिक महत्त्व:-

आध्यात्मिक तौर पर माना जाता है कि परिक्रमा के पग-पग पर जन्म-जन्मान्तर के पाप नष्ट होते हैं। परिक्रमा हमेशा घड़ी की सुई की दिशा में ही की जाती है, तभी हम दक्षिण दिशा की तरफ से आगे बढ़ते हैं। हिंदू मान्यताओं के आधार पर ईश्वर सदैव मध्य में होते हैं। यह स्थान परमात्मा के केंद्रित रहने का अनुभव प्रदान कराता है। वहीं वैज्ञानिकों के मुताबिक, प्रत्येक धार्मिक स्थल पर कुछ विशेष ऊर्जा होती है। यह ऊर्जा मंत्रों एवं धार्मिक उपदेशों के उच्चारण और उनसे निकली ध्वनि तरंगों से उत्पन्न होती है। धार्मिक स्थल की परिक्रमा करने से लोगों को वहां मौजूद सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

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