121 साल पहले आज ही के दिन पहली बार गाया गया था 'वंदेमातरम्'
121 साल पहले आज ही के दिन पहली बार गाया गया था 'वंदेमातरम्'
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आज का दिन भारतीय इतिहास के लिए बेहद ख़ास दिन है. दरअसल, हमारे देश का राष्ट्रगीत 'वंदेमातरम्' आज ही के दिन ठीक 121 साल पूर्व सन 1896 में पहली बार कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में गाया गया था. यह भारत का संविधान सम्मत राष्ट्रगीत है. भारत के 'राष्ट्रगीत' का प्रकाशन सन् 1882 में बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा संस्कृत बांग्ला मिश्रित भाषा में रचित उपन्यास आनन्द मठ में अन्तर्निहित गीत के रूप में हुआ था.

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह गीत भवानन्द नाम के संन्यासी द्वारा गाया गया है, इसकी धुन यदुनाथ भट्टाचार्य ने बनाई थी. स्वाधीनता-आन्दोलन के दौरान भारतियों में देश के प्रति सच्ची देश भावना जाग्रत करने के लिए इस गीत का जोर शोर से गायन किया जाता था, इसके उपयोग के बाद इस गीत में जबरदस्त लोकप्रियता देखने को मिली. यहां तक कि, अंग्रेज भी इस गीत के जोशीले गायन से थर-थर कांपने लगे थे, और उन्होंने इसे प्रतिबन्धित करने तक की योजना भी बना ली थी.  

सन् 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने इस गीत को गाया. 5 साल बाद 1901 में कलकत्ता में हुए एक अन्य अधिवेशन में श्री चरणदास ने इस गीत को पुनः गाया. फिर 1905 में बनारस अधिवेशन में सरलादेवी चौधरानी ने भी 'राष्ट्रगीत' गाया. यहां तक कि, जब आजादी की दीवानी मातंगिनी हाजरा अंग्रेजो की गोली का शिकार हुई तब उनके मुंह से निकला आखिर शब्द भी "वन्दे मातरम्" ही था. 

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