हिट एंड रन मामलों में 10 साल की जेल, हादसों में होने वाली मौतें रोकने के लिए सरकार ने किया प्रावधान
हिट एंड रन मामलों में 10 साल की जेल, हादसों में होने वाली मौतें रोकने के लिए सरकार ने किया प्रावधान
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नई दिल्ली: हिट-एंड-रन मामलों पर अंकुश लगाने के प्रयास में, सरकार ने देश में आपराधिक कानूनों में बदलाव के तहत एक नया प्रावधान प्रस्तावित किया है।  भारतीय दंड संहिता (IPC) को प्रतिस्थापित करने के लिए लाइ गई भारतीय न्याय संहिता (BNS) की एक धारा, उन ड्राइवरों के लिए 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान करती है जो दुर्घटना के बाद घटनास्थल से भाग जाते हैं या पुलिस या मजिस्ट्रेट को घटना की रिपोर्ट करने में विफल रहते हैं। 

प्रस्तावित कानून की धारा 104(2) कहती है कि, 'जो कोई लापरवाही से या गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में आने वाला कोई भी काम करके किसी व्यक्ति की मौत का कारण बनता है और घटना स्थल से भाग जाता है या घटना की रिपोर्ट, पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को जल्द करने में विफल रहता है, घटना के बाद, दस साल तक की जेल की सज़ा दी जाएगी और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।' सरकार ने तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण हुई मौत के लिए काफी लंबी जेल की सजा का भी प्रस्ताव रखा है, जो गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में नहीं आएगा। संहिता की धारा 104(1) में IPC की धारा 304ए के तहत दो साल की तुलना में सात साल तक की जेल की सजा का प्रस्ताव है। दोनों धाराओं में अपराधियों पर जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है।

बता दें कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में सड़क दुर्घटनाओं में 1.5 लाख से अधिक लोगों की जान चली गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 कैलेंडर वर्ष में कुल 4.12 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1.54 लाख लोगों की जान चली गई और 3.84 लाख लोग घायल हो गए। इसमें बताया गया है कि जहां 2019 की तुलना में सड़क दुर्घटनाओं में 8.1% की कमी आई और चोटें 14.8% कम हुईं, वहीं मृत्यु दर में 1.9% की वृद्धि हुई। 

वहीं, दहेज हत्या के मामलों के लिए, संहिता में IPC के समान ही शब्द और सजा बरकरार रखी गई है। प्रस्तावित संहिता की धारा 79 में कम से कम सात साल की जेल की सजा का प्रावधान है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। यह IPC की धारा 304बी के समान है। ब्रिटिश शासनकाल के आपराधिक कानूनों में बदलाव के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने कल लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए। आपराधिक प्रक्रिया संहिता को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BS) को भारतीय साक्ष्य द्वारा प्रतिस्थापित करने का प्रस्ताव है। तीनों विधेयकों को स्थायी समिति के पास भेज दिया गया है।

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