माना जाता है कि अगर आपने किसी नीलकंठ को देखने से भाग्य के दरवाजे खुल जाते है. इसको एक पवित्र पक्षी के रूप में देखा और जाना जाता है. भगवान शिव का एक नाम नीलकंठ भी है.
भगवान् शिव का नाम नीलकंठ इसलिए पड़ा क्योकि कहा जाता है जब समुद्र मंथन हुआ तब समुद्र से बहुत भयंकर विष निकला जिससे सारी सृष्टी का नाश हो सकता था. उस विष से सृष्टी को बचाने के लिए भगवान शिव ने उस विष को पी लिया और उस विष को अपने गले में धारण कर रख लिया जिससे भगवान शिव का गला विष के कारण नील रंग का हो गया. तब से भगवान शिव को नीलकंठ के नाम से पुकारा जाने लगा.
जब रावण से लंका जीतने के बाद जब भगवान राम को ब्राह्मण हत्या का पाप लगा था. भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ मिलकर भगवान शिव की पूजा अर्चना की और शिव पूजा कर ब्राह्मण हत्या के पाप से खुद को मुक्त कराया तब भगवान शिव नीलकंठ पक्षी के रूप में धरती पर आये.
ऐसा माना जाता है दशहरे के दिन इस नीलकंठ पक्षी को देखने से इंसान को धन धान्य मिलता है और पाप मुक्त हो जाता है. इस दिन हर कोई इस पक्षी को देखने के लिए उतावला रहता है. जिसको दशहरे के दिन यह पक्षी दिखाई देता है वह बहुत भाग्यशाली समझा जाता है.
यह नीलकंठ पक्षी भगवान् शिव का एक रूप है जिसके लिए कहा जाता है कि धरती में विचरण के लिए भगवान शिव इस नीलकंठ पक्षी का रूप लेकर घूमते है.