क्या सरकार पर थोप सकते है अपनी इच्छा ? इस न्यायविद ने दिया बड़ा बयान

शुक्रवार को जाने-माने न्यायविद हरीश साल्वे ने  कहा कि बहुत से ऐसे लोग जो निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं हैं, उन्हें लगता है कि वे अदालतों के माध्यम से अपनी इच्छा सरकार पर थोप सकते हैं. उन्होंने कहा कि किसी फैसले और यहां तक कि एक न्यायाधीश की आलोचना की जा सकती है. लेकिन, उसके लिए उद्देश्यों को जिम्मेदार ठहराना गलत है. वरिष्ठ वकील ने यह भी कहा कि निजता का उल्लंघन एक गंभीर मुद्दा है और निजी डाटा एक मूल्यवान संपत्ति है. लेकिन, भारतीय इसके बारे में गंभीर नहीं हैं.

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अपने बयान में साल्वे ने एक वेबिनार के दौरान कहा कि, यह कहना कि कोई निर्णय किसी राजनीतिक दल का पक्ष लेना है या न्यायाधीश ने राजनीतिक दल के पक्ष में काम किया है, गलत है. आप यह कहते हुए किसी फैसले की आलोचना कर सकते हैं कि न्यायाधीश ने रूढि़वादी लाइन ली है. साल्वे ने कहा कि कुछ लोगों को राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचने की आदत है. जब उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलती है, तो वे कहते हैं कि जज इस वजह से ऐसा नहीं कर रहे हैं.

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इसके अलावा साल्वे ने कहा कि कुछ लोग यह कह कर सीमाओं को तोड़ रहे हैं कि प्रवासियों के मामले को हैंडल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट 'एफ' ग्रेड का हकदार है. मैं इन लेखों को पढ़ता रहता हूं. वे गलत हैं. बहुत से लोग जो निर्वाचित नहीं हैं, उन्हें लगता है कि वे अदालतों के माध्यम से अपनी इच्छा सरकार पर थोप सकते हैं. कोई भी अदालत की यह कहकर आलोचना कर सकता है कि (प्रवासियों के मामले में) अदालत को हस्तक्षेप करना चाहिए था या नहीं. लेकिन, यह कहना कि अदालत सरकार से डर गई है, गलत है.

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