युद्ध सामग्री के आयात की निर्भरता घटाएगी सेना
युद्ध सामग्री के आयात की निर्भरता घटाएगी सेना
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नई दिल्ली : कैग रिपोर्ट में आयुध सामग्री की कमी का जिक्र होते ही सेना ने युद्ध सामग्री के आयात की निर्भरता कम करने का फैसला किया है. महत्वपूर्ण युद्ध सामग्री के आयात में देरी के कारण तैयारियों पर पड़ते असर को देखते हुए अब स्वदेशी तरीके से इन्हें तेजी से विकसित किया जाएगा.

इस बारे में सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड ने कलपुर्जों और अन्य सामान के आयात को 60फीसदी से कम करके अगले तीन वर्षों में 30 फीसदी करने का फैसला किया है. सीमावर्ती चौकियों पर तोपखाना और अन्य महत्वपूर्ण सैन्य सामग्री की आपूर्ति के लिए मास्टर जनरल ऑफ ऑर्डनेंस (एमजीओ) ने देश की रक्षा कंपनियों से चर्चा शुरू कर दी है.टैंक और अन्य हथियार के जरुरी कलपुर्जे स्वदेशी तरीके से विकसित करने की रणनीति पर उनसे बात की जाएगी.

उल्लेखनीय है कि सैन्य बलों को रूस से महत्वपूर्ण कलपुर्जे और उपकरण बहुत देरी से मिलते हैं . रूस भारत को सैन्य उपकरणों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है . इसीलिए अब स्वदेशी तरीके से आपूर्ति की जाएगी. करीब 80 छोटे और मझोले उद्योगों के साथ भी चर्चा जारी है. इसके पूर्व सरकार ने उपसेना प्रमुख को आपातकाल में हथियार खरीदने की वित्तीय शक्तियां भी प्रदान कर दी थीं. बता दें कि एमजीओ और बोर्ड हर साल 10 हजार करोड़ रुपए के कलपुर्जे खरीदते हैं.

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