श्योपुर: मध्यप्रदेश के श्योपुर से 22 किमी दूर तुलसेफ गांव में आपको जो देखने को मिलेगा उसे जान कर आप आश्चर्यचकित हो जायगे. तुलसेफ गांव का एक प्राइमरी स्कूल 13 बाय 18 फ़ीट के एक कमरे में चलता है, स्कूल में तक़रीबन 132 बच्चो का नाम दर्ज है, इसके साथ ही प्रतिदिन 110 से 120 बच्चे रोज पढ़ने आते है, यह पढ़ कर ही आप कल्पना कर सकते है की इस क्लासरूम का क्या नजारा होता होगा, हेडमास्टर सहित स्कूल में कुल 4 शिक्षक है, चारों शिक्षक एक कमरे में बैठ कर इन बच्चों को पढ़ाते है, यह स्थिति इतनी दयनीय प्रतीत होती है. क्लासरूम के इकलौते ब्लैक बोर्ड का उपयोग चारों शिक्षक बारी बारी करते है, जिससे की बच्चों को पढने में काफी समस्या आती है.
स्कूल के हेडमास्टर महाराज सिंह धाकड़ के अनुसार स्कूल भवन के विस्तार के लिए वह कई बार लिखित और मौखिक तौर पर अधिकारियों से कह चुके है, किन्तु कुछ नहीं हुआ. प्रभारी डीपीसी एनआर गोंड और कलेक्टर अभिजीत अग्रवाल ने कहा है की सभी चयनित स्कूल का भवन विस्तार का प्रस्ताव बना कर कार्य शुरू करेगे.
हालात कुछ जगह तो ऐसे भी है की स्कूल दो कमरो की धर्मशाला में लगता है, यह नजारा जिले के राड़ेप गांव का है. शिक्षा विभाग ने बेहतर शिक्षा के लिए कई नियम कानून बना रखे है, जिसके तहत एक क्लासरूम में औसतन 35 और अधिकतम 40 बच्चे ही बिठाये जा सकते है. साथ ही प्राइमरी स्कूल में एक शिक्षक अधिकतम 30 बच्चों को और मिडिल स्कूल में एक शिक्षक 35 बच्चों को पढ़ा सकता है.
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