इन बारह ज्योतिर्लिंग की है अचूक मान्यता
इन बारह ज्योतिर्लिंग की है अचूक मान्यता
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ऐसा माना जाता है की पृथ्वी पर जो मौजूद बारह ज्योतिर्लिंग है उनका निर्माण चन्द्रदेव के द्वारा किया गया था यह ज्योतिर्लिंग दुनिया के पवित्र स्थानों में से है इसके साथ ही इनकी काफी मान्यता भी है और तो और सावन सोमवार के समय इनकी पूजा अर्चना करने से लाभ अर्जित होता है 

सोमनाथ: पृथ्वी का प्रथम ज्योतिर्लिंग सौराष्ट्र में सोमनाथ जी का माना जाता है। यह गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। कहा जाता है कि इसका निमार्ण स्ंवय चंद्रदेव जी ने किया था।

मल्लिकार्जुन: आन्ध्रप्रदेश में कृष्णा नदी के तट के पास श्रीशैल पर्वत पर यह ज्योतिर्लिंग विराजमान है। कुछ ग्रन्थों में लिखा गया है कि श्रीशैल के शिखर के दर्शन मात्र करने से श्रदालुओ के सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं।

महाकालेश्वर: तृतीय ज्योतिर्लिंग महाकाल के नाम से प्रसिद्ध है। यह मध्य प्रदेश की राजधानी उज्जैन  में स्थित है। महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का सुंदर मनमोहक वर्णन मिलता है। महाकालेश्वर का दर्शन अत्यन्त पुण्यदायी होता है।

महाकालेश्वर: तृतीय ज्योतिर्लिंग महाकाल के नाम से प्रसिद्ध है। यह मध्य प्रदेश की राजधानी उज्जैन  में स्थित है। महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का सुंदर मनमोहक वर्णन मिलता है। महाकालेश्वर का दर्शन अत्यन्त पुण्यदायी होता है।

केदारनाथ: पांचवा ज्योतिर्लिंग केदारनाथ में हिमालय की चोटी पर स्थापित केदारनाथ जी का है। यह भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में आता है। माना जाता है कि यह तीर्थ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है।

भीमाशंकर: यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में भीमा नदी के किनारे सहयाद्रि पर्वत पर हैं। जो भीमा नदी है वो भी इसी पर्वत से निकलती है। इस मंदिर के बारें में मान्यता है कि जो भक्त श्रृद्धा से इस मंदिर के दर्शन करता है उसके लिए स्र्वग के मार्ग खुल जाते हैं।

काशी विश्वनाथ: काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के काशी नामक स्थान पर स्थित है। काशी  अन्य सभी धर्म स्थलों से कुछ अलग ही  महत्व रखता है। इसलिए सभी धर्म स्थलों में काशी के दर्शनों को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना  गया है। काशी तीनों लोकों में न्यारी नगरी हैए जो भगवान शिव के त्रिशूल पर विराजती है।

त्र्यंबकेश्वर: अष्टम ज्योतिर्लिंग को त्र्यंबकेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के पास महाराष्ट्र  के नासिक जिले में स्थित है।भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है इस कारण इस ज्योतिर्लिंग का नाम त्र्यंबकेश्वर पडा।

वैद्यनाथ: सारे ज्योतिर्लिंगों की गिनती में वैद्यनाथ शिवलिंग का नौवां स्थान बताया गया है। यह स्थान झारखण्ड प्रान्त के संथाल परगना में जसीडीह रेलवे स्टेशन के समीप में है। पुराणों में इस जगह को चिताभूमि कहा गया है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग: नागेश नामक ज्योतिर्लिंग दशम है जो गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के पास है। कुछ लोग दक्षिण हैदराबाद के औढ़ा ग्राम में स्थित शिवलिंग का नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मानते हैं। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करनें से उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग: ग्याहरवां ज्योतिर्लिंग श्री रामेश्वरम  हैं।  यह तमिलनाडु राज्य के रामनाथ पुरं नामक स्थान में स्थित है। यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में भी शामिल है। इस ज्योतिर्लिंग के बारे में बताया जाता है कि इसकी स्थापना  भगवान राम ने की थी।

घृष्णेश्वर मन्दिर: इसे सबसे अंतिम ज्योतिर्लिंग में गिना जाता है। इन्हें कई घुसृणेश्वर के नाम से भी  पुकारते हैं। यह स्थान महाराष्ट्र क्षेत्र के अन्तर्गत दौलताबाद से लगभग अठारह किलोमीटर दूर बेरूलठ गाँव के पास है। इस स्थान कोष्शिवालय भी कहा जाता है।

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