जो ईश्वर का चिन्तन करता है वह स्वतः ही चिन्ता से मुक्त हो जाता है - सुश्री आस्था भारती
जो ईश्वर का चिन्तन करता है वह स्वतः ही चिन्ता से मुक्त हो जाता है - सुश्री आस्था भारती
Share:

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या भागवताचार्या महामनस्विनी विदुषी सुश्री आस्था भारती जीने कहा कि पंजाब में सर्व श्री आशुतोष जी महाराज ने उस समय संस्थान की शुरुआत की जब चारों और आतंकवाद की घोर कालिमा थी। उस समय चंद लोगों को लेकर शुरु हुआ यह संस्थान आज विश्व स्तरीय ख्याति प्राप्त कर चुका है जिसके करोड़ों की संख्या में अनुयाई हैं। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का उद्देश्य धर्म को व्यवसाय बनाना नहीं बल्कि ब्रह्मज्ञान के माध्यम से धर्म को जन-जन में प्रचारित करना है क्योंकि धर्म प्रदर्शन नहीं अपितु दर्शन का विषय है।

साध्वी जी ने बताया कि संस्थान में हजारों युवा अपना सब कुछ त्याग कर केवल समाज कल्याण हेतु कार्यरत हैं जो कि साधन संपन्नपरिवारों के शिक्षित उजाले हैं। यह सभी ब्रह्मज्ञान की मशाल लेकर विश्व शांति के संकल्प को सार्थक करने हेतु सर्व श्रीआशुतोष महाराज जी के मार्ग दर्शन में सेवा कर रहे हैं। कथा का व्याख्यान करते हुए साध्वी आस्था भारती जी ने बताया कि वर्तमान समाज में अशांति का मूल कारण मानव मन की अशांति है और इस मन को शांत करने हेतु मानव को ब्रह्मज्ञान की नितांत आवश्यकता है।

भगवान की अनन्त लीलाओं में छिपे गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को कथा प्रसंगों के माध्यम से उजागर करते हुए साध्वी आस्था भारती जी ने अजामिल एवं प्रह्लाद प्रसंग भी प्रस्तुत किया। अजामिल प्रसंग प्रस्तुत करते हुए उन्होंने बताया कि मानव के जीवन पर आसपास के दृश्यों का बहुत प्रभाव पड़ता है। अजामिल के द्वारा देखे गए एक अशलील दृश्य ने उसके जीवन को कुमार्ग पर बढ़ा दिया। 

ईश्वर को प्राप्त करने का लक्ष्य होना चाहिए

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -