एयरोप्लेन से जुडी ऐसी 5 जानकारी जो आपने पहले शायद ही कभी सुनी होगी
एयरोप्लेन से जुडी ऐसी 5 जानकारी जो आपने पहले शायद ही कभी सुनी होगी
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कम समय में लंबी दुरी तय करने के लिए एयरोप्लेन्स काफी सुविधाजनक जरिया है। कई बार ऐरोप्लेन से ट्रेवल करने के बावजूद ऐसी कई बातें हैं जिसके बारे में ज्यादा लोगों को पता नहीं होता। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं एरोप्लेन से जुड़े 5 फैक्ट्स जिनके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे। 

क्या आपने कभी ये सोचा है कि ज्यादातर एरोप्लेन्स व्हाइट कलर के ही क्यों होते है? दरअसल इसके पीछे कई कारण हैं। पहला तो ये कि व्हाइट कलर की वजह से प्लेन की बॉडी में आई किसी भी तरह की खराबी जैसे क्रेकस या तेल का रिसना आसानी से दिखाई दे जाते हैं। साथ ही वाइट कलर गर्मी को आसानी से रिफ्लेक्ट करता है। 

जिसकी वजह से 30 हजार फीट की ऊंचाई पर भी प्लेन ठंढा रहता है। वाइट कलर की वजह से आसमान में या क्रैश होने पर एरोप्लेन आसानी से दिख जाता है।

प्लेन की खिड़कियां में 3 लेयर्स होते हैं। एक लेयर बाहर की तरफ, एक बीच में तो एक अंदर की तरफ। इसमें बीच के लेयर में आप छोटे छेद देख सकते हैं। दरअसल, मिडिल लेयर में मौजूद ये छेद केबिन प्रेशर को मेंटेन करता है। अगर प्रेशर की वजह से खिड़कियों में दरार भी आ जाए तो सबसे पहले बाहर की लेयर टूटेगी। तब तक पायलट भी प्लेन को लोअर एल्टीट्यूड तक ले जा सकता है।

एरोप्लेन से ट्रेवल करते हुए क्या कभी आपने ध्यान दिया है कि उसकी खिड़कियां हमेशा गोल या थोड़ी घुमावदार ही क्यों होती हैं। दरअसल, शुरूआती दौर में प्लेन की खिड़कियां चौकोर हुआ करती थीं। प्रेशर की वजह से खिड़कियां टूट जाती थी। समय के साथ प्लेन के आकर और सुरक्षा दायरे में बदलाव लाये गए। प्लेन्स की सिक्योरिटी के लिए साइंटिस्ट्स ने काफी आसान रास्ता निकाला। उन्होंने प्लेन्स की खिड़कियां गोल या घुमावदार बनाई ताकि इसपर पड़ने वाला प्रेशर डिवाइड हो जाए। इससे इनके टूटने की संभावना कम हो गई। इसी वजह से प्लेन की खिड़कियां गोल या घुमावदार होती हैं।

लैंडिंग और टेकऑफ के दौरान एयर होस्टेस आपसे खिड़कियों के शटर उठाने के लिए कहती हैं। दरअसल, इसके पीछे सेफ्टी रिसन्स होते हैं। पैसेंजर्स फ्लाइट की सेफ्टी को लेकर ज्यादा सजग होते हैं। ऐसे कई मामले सामने आये हैं जिनमें पैसेंजर्स ने ही खिड़की से देखकर क्रू को प्लेन की खराबी के बारे में जानकारी दी थी। शटर्स खुले होने पर प्लेन में आई किसी भी तरह की खराबी को तुरंत नोटिस कर लिया जाता है। यही वजह है कि लैंडिंग और टेकऑफ के दौरान शटर्स खुले रखे जाते हैं।

छोटी क्यों होती है एरोप्लेन्स की खिड़कियां?
क्या आपने कभी सोचा है कि ऐरोप्लेन्स की खिड़कियां बसों की खिड़कियों जितने बड़े क्यों नहीं होते? दरअसल, ऊंचाई पर उड़ते हुए प्लेन के बाहर और अंदर के प्रेशर में काफी अंतर आ जाता है। अगर प्लेन की खिड़कियां बड़ी होंगी तो ग्लास के टूटने का खतरा ज्यादा होगा। लेकिन अब आप सोच रहे होंगे कि फिर कॉकपिट की खिड़कियां बड़ी और चौकोर क्यों होती हैं? दरअसल, पायलेट्स को बाहर का नजारा साफ दिखे इसलिए कॉकपिट की खिड़कियां बड़ी होती हैं। इसमें यूज किये गए ग्लासेज काफी मजबूत और ज्यादा महंगे होते हैं।

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