मुम्बई : आखिर भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (भामा) ने हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश को लेकर किये जा रहे लैंगिक भेदभाव के खिलाफ कानूनी लड़ाई जीत ही ली और आज वह खुशनसीब दिन आ गया जब महिलाएं हाजी अली दरगाह के उस हिस्से में प्रवेश करेंगी जहाँ जाने पर पाबन्दी थी. देश भर कि करीब 80 महिलाएं हाजी अली को चादर और फूल चढाकर शांति की दुआ करेंगी.
गौरतलब है कि दो वर्ष पूर्व भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (भामा) ने दरगाह के मुख्य हिस्से में महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को चुनौती दी थी. इस मामले में 24 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दरगाह में पुरुषों की ही तरह महिलाओं को भी प्रवेश करने की अनुमति देने का फैसला सुनाया गया था. इस फैसले पर हाजी अली दरगाह ट्रस्ट ने सकारात्मक रुख अपनाते हुए अदालती फैसले को मानने की घोषणा करते हुए इस बदलाव को लागू करने और दरगाह में जरूरी प्रबंध के लिए ट्रस्ट ने अदालत से 4 हफ्ते का समय मांगा था. यह अवधि खत्म होने पर आज मंगलवार को भामा की महिला कार्यकर्ताएं दरगाह में प्रवेश करेंगी.
इस बारे में भामा की सह-संस्थापक नूरजहां साफिज नियाज ने बताया, देशभर की करीब 80 महिलाएं दरगाह में प्रवेश करेंगी। हम हाजी अली को चादर और फूल चढ़ाएंगे और शांति की दुआ करेंगे. उन्होंने कहा कि हमारी असली लड़ाई इस लैंगिक भेदभाव के खिलाफ और संवैधानिक थी. दरगाह ट्रस्ट द्वारा महिलाओं और पुरुषों के साथ समान व्यवहार करने और सबको प्रवेश करने की अनुमति देने के फैसले का महिला कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया है. अब महिलाएं पुरुषों की ही तरह दरगाह के भीतरी हिस्से में जा सकेंगी.