आखिर क्यों चढ़ाया गया था भगवान जीसस को सूली पर
आखिर क्यों चढ़ाया गया था भगवान जीसस को सूली पर
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जीसस क्राइस्ट यानी ईसा मसीह के बारे में कहा जाता है कि यहूदियों को ईसा की बढ़ती लोकप्रियता से तकलीफ होने लगी। उन्हें लगने लगा कि ईसा उनसे सत्ता न छीन लें। इसलिए साजिश के तहत इन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया।

माना जाता है कि सूली पर चढ़ाए जाने के बाद ईसा मसीह की मौत हो गई थी। लेकिन असलियत यह है कि ईसा सूली पर चढ़ाए जाने के बाद भी जीवित रह गए थे। यह कहना है रूसी स्कालर 'निकोलाई नोटोविच' का। इन्होंने अपनी पुस्तक 'द अननोन लाईफ ऑफ जीसस क्राइस्ट'में लिखा है कि सूली पर चढ़ाए जाने के जिसस मरे नहीं थे।

सूली पर चढ़ाए जाने के तीन दिन बाद यह अपने परिवार और मां मैरी के साथ तिब्बत के रास्ते भारत आ गए। भारत में श्रीनगर के पुराने इलाके को इन्होंने अपना ठिकाना बनाया। 80 साल की उम्र में जिसस क्राइस्ट की मृत्यु हुई। माना जाता है कि क्राइस्ट का मकबरा श्री नगर के रोजबाल बिल्डिंग में आज भी है।

जीसस क्राइस्ट के विषय में उल्लेख मिलता है कि इन्होंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा भारत में बिताया। जीसस प्राचीन व्यापारिक मार्ग सिल्क रूट से भारत आये थे। जीसस ने तिब्बत और कश्मीर के मोनेस्ट्री में काफी समय बिताया और बौद्घ एवं भारतीय धर्म ग्रंथों एवं आध्यात्मिक विषयों का अध्ययन किया। अपनी भारत यात्रा के दौरान जीसस ने उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर की भी यात्रा की थी एवं यहां रहकर इन्होंने अध्ययन किया था।

इतिहासकार सादिक ने अपनी ऐतिहासिक कृति 'इकमाल-उद्-दीन'में उल्लेख किया है कि जीसस भारत में कई बार आए थे। अपनी पहली यात्रा में इन्होंने तांत्रिक साधना एवं योग का अभ्यास किया। योग और तांत्रिक शक्ति के बल पर सूली पर लटकाए जाने के बावजूद जीसस जीवित रह गए। बाईबल में भी इस बात का उल्लेख है कि ईसा मसीह सूली पर लटकाए जाने के तीन दिन बाद अपने समर्थकों के बीच आए थे। इस दिन को ईस्टर के नाम से जाना जाता है।

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