क्यों मनाई जाती है यमुना छठ? स्नान मात्र से धुल जाते है मनुष्य के पाप
क्यों मनाई जाती है यमुना छठ? स्नान मात्र से धुल जाते है मनुष्य के पाप
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चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन यमुना छठ का मनाया जाता है, यह त्योहार मथुरा एवं वृंदावन और गुजरात में बहुत ही भव्य तरीके से मनाए जाने की प्रथा है. कहा जाता हैं कि इस दिन देवी यमुना धरती पर अवतरित हुईं थी. इसलिए इसे यमुना जयंती के तौर पर भी जाना जाता है. इस वर्ष यमुना छठ 14 अप्रैल 2024 को मनाई जाएगी. इसे चैती छठ के नाम से भी जाना जाता है. 

कहा जाता हैं कि इस दिन देवी यमुना धरती पर अवतरित हुईं थी. इसलिए इसे यमुना जयंती के तौर पर भी जाना जाता है. यमुना भारत की पवित्र नदियों में से एक है. यमुना छठ के दिन यमुना नदी में स्नान का खास महत्व है, मान्यता है इससे यम के यातनाएं नहीं झेलनी पड़ती.

यमुना छठ महत्व:-
सनातन धर्म में गंगा को ज्ञान की देवी एवं यमुना को भक्ति का सागर माना गया है. ऐसा माना जाता है कि यमराज ने यमुना को ये वरदान दिया था कि जो भी मनुष्य यमुना नदी में स्नान करेगा, उसे यमलोक नहीं जाना पड़ेगा. यही कारण है कि यमुना जयंती (यमुना छठ) के दिन ब्रज में यमुना में आस्था की डूबकी लगाई जाती है. कहते हैं इससे मनुष्य के पाप धुल जाते हैं. शनि की शुभता भी प्राप्त होती है क्योंकि देवी यमुना सूर्य और छाया की पुत्री और मृत्यु के देवता यमराज तथा शनि देव की बहन मानी जाती है.

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