एक अप्रैल का नाम इसलिए पड़ा 'फूल्स डे'
एक अप्रैल का नाम इसलिए पड़ा 'फूल्स डे'
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हर साल अप्रैल महीने का पहला दिन आपको जरूर याद रहता होगा क्यूंकि इस दिन या तो कोई आपको बेफकूफ बनाता है या फिर आप किसी के साथ शररत करते हो. अप्रैल महीने की पहली तारीख को पूरी दुनिया अप्रैल फूल के नाम से मनाती है. इस दिन लोग झूठी अफवाहें फैलाकर या प्रेंक करके लोगों को बेवकूफ बनाते है लेकिन क्या आपको पता अप्रैल फूल्स डे की शुरुआत कहाँ से हुई थी. तो आइये जानते है अप्रैल फूल डे इतिहास और उससे जुड़े कुछ मजेदार तथ्य के बारे में.

अप्रैल फूल डे को लोग सदियों से मनाते आ रहे है परंतु इसकी शुरुआत कैसे हुई इस पर अनेक मत है. सबसे पहले इस दिन को मनाने का जिक्र सन 1392 में जरुसरी जोफर की लिखी गयी किताब केंटर बेरिटेल में मिलता है. कई इतिहासकार यह मानते है कि अप्रैल फूल डे की शुरूआत फ्रांस में हुई. जब पॉप ग्रेगरी 13 ने सन1582 में सारे यूरोपीय देशों को जूलियन कैलेंडर छोड़कर ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाने को कहा था जिसमें नया साल अप्रैल की बजाय 1 जनवरी को शुरू होता था. कुछ लोगो ने इस बदलाव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और कुछ लोगों को इस बदलाव की जानकारी नहीं थी इसलिए वह प्रथम अप्रैल को ही नया साल मनाते रहे. बाकी लोगों ने इन लोगों को अप्रैल फूल कहना शुरू कर दिया. इसी के साथ तरह तरह के प्रेंक करके लोगों को बेवकूफ बनाना शुरू कर दिया और यह प्रथा धीरे धीरे पूरे यूरोप में शुरू हो गयी.

अप्रैल माह की पहली तारीख को फूल डे दुनिया में मनाया जाता है और लोग इसको एन्जॉय करते हैं. जापान , जर्मनी में लोग पूरे दिन प्रैंक करते है तो वहीँ स्कॉटलैंड में लोग इसे लगतार दो दिनों तक मनाते हैं. फ्रांस में इसे फिश डे भी कहा जाता है और इस दिन बच्चे कागज की बनी फिश एक दूसरे के पीठ पर चिपका कर अप्रैल के इस दिन मनाते हैं.

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