50 वर्ष की आयु के बाद शरीर की अस्थियां कमजोर होने लगती हैं,इसे अस्थि भंगुरता, अस्थि मृदुता या अस्थि क्षरण कहते हैं। हड्डिया पतली और खोखली होने लगती हैं और इतनी कमजोर व भंगुर हो जाती है कि झुककर किसी वस्तु को उठाने या साधारण भार पडने अथवा मामूली सी चोंट लगने पर भी अस्थि-भंग (बोन फ़्रेक्चर) हो जाता है। केल्सियम, फ़ास्फ़ोरस व अन्य तत्व की कमी हो जाने से अस्थि मृदुता रोग होता है। इन तत्वों की कमी से अस्थि-घनत्व ( बोन डेन्सिटी) का स्तर गिर जाता है। यह रोग पुरुषों की बजाय महिलाओं में ज्यादा होता है। कुल्हे की हड्डी, कलाई की हड्डी और रीढ की हड्डी के फ़्रेक्चर की घटनाएं ज्यादा होती हैं।
हड्डी कमजोर होने के कारण:
1) अधिक आयु होना
2) शरीर का वजन कम होना
3) कतिपय अंग्रेजी दवाएं अस्थि भंगुरता जनक होती हैं
4) महिलाओं में रितु निवृत्ति होने पर एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर गिरने लगता है। एस्ट्रोजन हार्मोन हड्डियों की मजबूती के लिये अति आवश्यक हार्मोन होता है।
5) थायराईड हारमोन
6) कोर्टिकोस्टराईड दवाएं लंबे समय तक उपयोग करना।
7) भोजन में केल्सियम तत्व-अल्पता
8) तम्बाखू,और शराब का अधिक सेवन करना
9) केमोथिरेपी