धनबाद : देश को बाहर से स्वतंत्रता दिलवाने का जज़बा लेकर आज़ाद हिंद फौज का गठन करने और फ्रांस, बर्मा समेत कई देशों की यात्रा करने वाले महान क्रांतिकारी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मौत को लेकर विवाद अभी भी कायम है। यह एक ऐसा मसला है जो बीते सात दशक के बाद भी जस का तस बना हुआ है। जहां तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और अन्य नेताओं द्वारा उनकी मृत्यु एक विमान हादसे में होने की बात कही गई लेकिन उनके बड़े भाई ने अपनी पुस्तक में उल्लेख किया है कि यह कहना गलत है। यही नहीं नेताजी की रिश्तेदार नवासी राजश्री चैधरी ने भी इस मसले पर खुलकर चर्चा की।
मामले में कहा गया है कि ब्रिटिशों द्वारा लिखे गए इतिहास को मान लिया गया। जबकि सच्चाई यह नहीं है। शाहनवाज़ कमीशन के गैर आधिकारिक सदस्य सुरेश चंद्र बोस ने भी इस बारे में लिखा और कहा कि नेता जी का प्लेन जिस दिन क्रेश होने की बात कही गई थी उस दिन इस तरह की कोई घटना नहीं हुई थी। मामले में कहा गया है कि नेताजी को लेकर रहस्य से पर्दा हटना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि नेताजी की मृत्यु को लेकर कहा गया है कि 18 अगस्त 1945 को नेताजी की मृत्यु मंचूरिया जाने के दौरान मानी जाती है लेकिन कहा जाता है कि इस दौरान वे रहस्यमय तरीके से लापता हो गए थे। मगर उनकी मृत्यु को लेकर भारत में समितियां गठित की गईं, जिसमें अलग अलग बातें सामने आती ह हैं लेकिन ठोस मत यही सामने आता है कि उस विमान हादसे में नेताजी की मृत्यु नहीं हुई थी। नेताजी कुछ समय तक एक सन्यासी के रूप में लोगों के बीच रहते थे।