देश में पानी की किल्लत लोगों की जान पर बन गई है. देश के मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में कुछ जिलों में कुँए सुख गए है, तालाब सूखे मैदानों में तब्दील हो चुके है. हैंडपंप से पानी आना बंद हो गया है, लोगों को पानी लाने के लिए सैकड़ों मील दूर पैदल जाना पड़ता है. यह उत्तर प्रदेश कुछ जिलों में और मध्यप्रदेश के कुछ जिलों का है, जो आने वाले समय के लिए भयानक है.
टीकमगढ़ की खतरनाक घटना के अनुसार गाँव के एक मात्र कुँए से लोगों का हुजूम पानी की चाहत में कुँए पर टूट पड़ा. मामला टीकमगढ़ जिले के खरगापुर की घटना के अनुसार कुँए से पानी लेने के लिए जमा भीड़ में अचानक भगदड़ मच गई जिससे कुँए की किनारे की वाल टूट गई और लोग कुँए में जा गिरे. इस हादसे में एक महिला की मौत हो गई वहीं चार घायल है.
ये सिर्फ एक उदाहरण है सोचने के लिए कि एक तरफ शहरों में पानी की बर्बादी होती है वहीं गाँव में लोग पानी के लिए मर रहे है. इस समय बुंदेलखंड और आसपास के सभी क्षेत्रों में यही हाल है. कई लोग आपको अपनी साइकिल पर पानी के डब्बे लेते नजर आ जाएंगे, वहीं इन गाँवों में महिलाऐं 45 डिग्री तापमान पर भी आपको सर पर पानी के बर्तन ले जाते हुए दिखाई दे जाएगी.
इतना ही नहीं एक तरह जहाँ शहरों में लोग पानी की बर्बादी करते है वहीं शहरों की कई कॉलोनियों में पानी की इतनी किल्लत है कि बड़ी-बड़ी मल्टी के बाहर भी आपको टैंकर खड़े दिखाई दे जाएंगे. हम तरह-तरह की रोजमर्रा के कामों में इतने व्यस्त हो चुके है कि पानी के आने वाले भविष्य के बारे में सोच नहीं पाते. आज हम खुशकिस्मत है कि पीने और रोजाना उपयोग करने का पानी हमें आसानी से मिल जाता है लेकिन आने वाली पीढ़ियों के लिए यह समस्या विकराल रूप धारण कर लेगी और हो सकता है पानी के लिए लोग युद्ध भी शुरू कर दें, सुनने में यह पानी थोड़ी चौंकाने वाली लगेगी लेकिन यही कड़वा सच है.
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