उत्तर प्रदेश नहीं अपराध प्रदेश कहिये
उत्तर प्रदेश नहीं अपराध प्रदेश कहिये
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देश के हर कोने से अपराध की खबरों की बाढ़ आई हुई है पर अकेले उत्तर प्रदेश ने सबकों पछाड़ कर अपने आप को अपराध चार्ट में पहले पायदान पर बनाये रखा है । राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड्स ब्यूरो  (एनसीआरबी) के आंकड़ों पर गौर करे तो स्थिति की गंभीरता का अंदाजा हाल की कुछ घटनाओं से लगाया जा सकता है। विगत दिनों मेरठ हाईवे पर जिस तरह से नवविवाहिता दुल्हन की गोली मार कर हत्या और लूटपाट हुई वो भी इस बात की पुष्टि करने के लिए पर्याप्त है कि प्रदेश में अपराधी किस कदर बेख़ौफ़ है, उनपर योगी सरकार के द्वारा चलाये गए इनकाउंटर सीरीज़ का कोई असर नही है। अपराध में भी महिलाओं के खिलाफ होने वाले हिंसा में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उत्तर प्रदेश में 2016 में महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा में बलात्कार जैसे मामले भी शामिल है। देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य यूपी ने 4,889 पर हत्या के सबसे ज्यादा मामलों की सूचना दी, जिसमें देश के कुल मामलों में से 16.1 प्रतिशत, बिहार के बाद 2,581 (8.4 प्रतिशत) दर्ज किया गया है। अकेले यूपी ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल मामलों में 14.5 प्रतिशत (49,262 मामले) दर्ज किए, इसके बाद 2016 में पश्चिम बंगाल 9.6 प्रतिशत (32,513 मामले) अन्य राज्यों का नंबर आता है। यूपी ने देश में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत पंजीकृत अपराधों के कुल मामलों में 9 .5 प्रतिशत बढ़ोत्तरी दर्ज दिखाई, इसके बाद मध्य प्रदेश (8.9 प्रतिशत), महाराष्ट्र (8.8 प्रतिशत) और केरल (8.7 प्रतिसत) बढ़ोतरी रही है। महिलाओं और बाल विकास मंत्रालय द्वारा संकलित लिंग भेद्यता सूचकांक 2017 ने भी उत्तर प्रदेश , दिल्ली, बिहार और झारखंड को सुरक्षा के मामले में निचले स्तर पर जगह दी है।

कुछ भयानक मामलों में, उन्नाव घटना भी शामिल है जहां अज्ञात पुरुषों के एक समूह द्वारा एक दलित नाबालिक लड़की को पेट्रोल डाल कर जिंदा जला दिया गया , वहीं दूसरी तरफ एक और घटना उन्नाव से ही है जिसने पुरे देश के साथ प्रदेश में भी हलचल मचा दी, यहाँ आरोपी सत्ता दल का मौजूदा निर्वाचित विधायक निकला जिसे बचाने के लिए तमाम बड़े कदम उठाये गये आखिर में इलाहाबाद हाईकोर्ट को मामले में हस्तक्षेप करते हुए योगी सरकार को करवाई के लिए आदेश देना पड़ा। ये कोई आसान स्थिति नही कही जा सकती है कि पीड़ित को न्याय पाने के लिए दर-दर की ठोकर खानी पड़े। उन्नाव वाले बलात्कार कांड में सबसे भयानक पक्ष पीड़िता के पिता को पुलिस की कस्टडी में इतना मारा गया कि उसकी मौत हो गई और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गंभीर जख्मों की बात सामने आई है। सवाल ये भी है कि ये वो आंकड़े है जिनकी लिखित शिकायत दर्ज है जिसका हवाला (एनसीआरबी) ने दिया है उन शिकायतों का क्या जिनका कोई नामो निशान नहीं है जिनपर कोई रिपोर्ट नही लिखी गई है। हत्या, बलात्कार, अपहरण जैसे आम बात है


ग्लोबल पीस इंडेक्स द्वारा 2017 की एक रिपोर्ट में दावा किया  भारत महिलाओं के लिए चौथा सबसे खतरनाक देश है अपराध के मामले में और उत्तर प्रदेश का योगदान उसमे नकारा नही जा सकता। चाहे अखिलेश यादव की सरकार हो या योगी आदित्यनाथ की अपराध की रफ्तार बेलगाम है भू माफिया, खनन माफिया, हत्या, बलात्कार , फिरौती, जातिगत हिंसा, राजनैतिक दलों की गुंडागर्दी सब मिल कर प्रदेश का जायका और मिजाज दोनों बिगाड़ रहे है । विधानसभा के अंदर ऐसे लोगों की तादाद ज्यादा है जिनके खिलाफ महिलाओं से अपराध में शामिल होने के पुख्ता सबूत है और अन्य भारतीय दंड संहिता की धाराओं में मुकदमे। जल्द ही अगर इसपर ध्यान नही दिया गया तो आने वाले  आंकड़े सभी पिछले रिकॉर्ड तोड़ कर आगे निकल जायेंगे। प्रदेश की सरकार का चुनाव इस आधार पर भी किया था जनता ने क्योंकि शांति और अमनचैन की तलाश में वो भटक रही थी। योगी आदित्यनाथ को ऐसे अपराध और अपराधियों का सहयोग करने वालों पर कोई कड़ा कदम तय करना चाहिए जिससे दोबारा उत्तर प्रदेश अपराध प्रदेश की जगह उत्तम प्रदेश बने ।

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