भारत - चीन के बीच भागीदारी को बान की मून ने सराहा
भारत - चीन के बीच भागीदारी को बान की मून ने सराहा
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संयुक्त राष्ट्र : भारत और चीन के बीच बढ़ती निकटता को हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने भी सराहा है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि एशिया - प्रशांत स्थल पर गतिशीलता और प्रभाव के तौर पर एक केंद्रात्मक भागीदारी होना जरूरी है और वह भारत और चीन मिलकर कर रहे हैं। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने कहा कि एशिया के प्रशांत क्षेत्र के गतिशीलता और प्रभाव के केंद्र के तौर पर उभरने से विकास और आर्थिक शक्ति का इंजन लगातार आगे बढ़ रहा है। यही नहीं उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के प्राथमिकता वाले कई ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें संगठन के निकट सहयोगियों और महत्वपूर्ण सदस्य देशों चीन और भारत की बढ़ती वैश्विक जरूरत और भागीदारी का स्वागत किया जाता है।

दरअसल महासचिव बान की मून संयुक्त राष्ट्र के चार्टर को अपनाए जाने के 70 वर्ष पूर्ण होने पर उपस्थितों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आसियान के लिए वर्ष 2015 एक महत्वपूर्ण वर्ष है। दूसरी ओर उन्होंने कहा कि पूंजी के मुक्त प्रवाह और सामानों, सेवाओं, निवेश और दक्ष श्रमिकों के एक देश से दूसरे देश में आने - जाने के कार्यक्रम और गतिविधियों को गति मिले इस तरह के प्रयासों प कार्य करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि एशिया ऐसी कई परेशानियों का सामना कर रहा है जो समृद्धि, स्थिरता और सम्मान को प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि विश्व को सांप्रदायिक तनाव, आतंकवाद, समुद्री दावों को लेकर अपनाई जाने वाली प्रतिद्वंदीता आदि समस्याओं का सामना करना है। इसके लिए मिलकर काम करने की जरूरत है।

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