प्राकृतिक एंटिसेप्टिक है हल्दी
प्राकृतिक एंटिसेप्टिक है हल्दी
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किचन में काम आनेवाली हल्दी से अच्छा कोई और मसाला नहीं है जो हमारे स्वास्थ्य को इतने सारे फायदे देता हो. सदियों से हृषि मुनियों और वेध इसका प्रयोग करके बहुत सी शारीरिक व्याधियों को दूर कर रहे हैं. आज हम आपको ऐसे ही कुछ नुस्खों के बारे में बताने जा रहे हैं. कच्ची हल्दी के कसैले रस से मालिश करने पर दांत और मसूड़े मजबूत होते हैं। उनकी सूजन दूर होती है और दांत के कीड़े खत्म हो जाते हैं। हल्दी एनीमिया के इलाज के प्राकृतिक उपायों में एक है।

कच्ची हल्दी से निकाला गया आधा चम्मच रस एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीना फायदेमंद है। सर्दी जुकाम को दूर करने के लिए गुनगुने दूध में हल्दा मिलाकर पीने से सर्दी जुकाम को कम करने में काफी राहत मिलती है। त्वचा को निखार प्रदान करने में हल्दी का विशेष महत्व होता है। इसलिए शादी के कुछ ही दिन पहले से लड़की को हल्दी का उबटन बनाकर लगाया जाता है। जिससे त्वचा का रंग खिल उठे। हल्दी को फूलगोभी के साथ मिलाकर खाने से प्रोस्टेट कैंसर की आशंका दूर होती।

इसके अलावा अगर प्रोस्टेट कैंसर हो तो उसका बढ़ना रुक जाता है। हल्दी में प्राकृतिक एंटिसेप्टिक एवं एंटिबैक्टीरियल एजेन्ट होता है। जो घाव को जल्दी भरने के साथ-साथ क्षतिग्रस्त त्वचा को भी ठीक करता है। चेहरे पर पड़ रही झुर्रियों को कम करने के लिए आप अलग-अलग तरह की चीजों में हल्दी को मिलाकर इस्तेमाल करेंगी तो आपके चेहरे पर पड़ रही झुर्रियां दूर हो जाएंगी और त्वचा दमकेगी। कच्चे दूध में हल्दी और शहद को मिलाकर त्वचा पर लगाने से त्वचा के पोर्स खुल जाते हैं। आंखों के नीचे पड़ रहे काले घेरे और झुर्रियां ठीक होती हैं।

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