धतूरे से लेकर अंगूर तक में पाया जाता है ये जहर
धतूरे से लेकर अंगूर तक में पाया जाता है ये जहर
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दुनिया में कई प्रकार के जहरीले फल पाए जाते हैं जिनका सेवन करने से मौत हो सकती है। यहां कुछ प्रमुख जहरीले फलों के बारे में जानकारी दी जा रही है:

धतूरा: धतूरा पौधे के फलों में एक जहरीला तत्व होता है जिसे सोलेनसिन कहा जाता है। इसका सेवन ज्यादा मात्रा में हानिकारक हो सकता है और असामयिकता, दिमागी विकार, और मौत की वजह बन सकता है।

केतांग: केतांग फल में जहरीली विषैलीय खाद्य पदार्थ होता है जो चेतावनी संकेत देता है। इसका सेवन करने पर तेज दर्द, उल्टी, पेट दर्द, और श्वास कठिनाई जैसे लक्षण हो सकते हैं।

अकेला: अकेला फल में हानिकारक जैसे साबित हुए हैं। इसमें स्वेलियानिन नामक विषैला पदार्थ पाया जाता है जो मनोवैज्ञानिक और शारीरिक लक्षणों का कारण बन सकता है।

करोंदा: करोंदा फलों की कई प्रजातियाँ होती हैं जो अच्छी तरह से पकी हुई होती हैं तो हानिकारक नहीं होती हैं। लेकिन कच्चे करोंदे का सेवन करने से जहरीला पदार्थ जैसे कैल्शियम ऑक्सलेट पाया जाता है जो मुंह और गले को जला सकता है और विपत्ति के लक्षण प्रकट कर सकता है।

अंगूर: कुछ अंगूर के फलों में जहरीले तत्व हो सकते हैं जैसे कि आंटिमोनी, आर्सेनिक, और सिअनाइड। इनका अधिक मात्रा में सेवन करने से तीव्र उल्टी, पेट में दर्द, सांस लेने में कठिनाई, और मौत हो सकती है।

धतूरा (Datura) पौधे में विभिन्न प्रकार के जहरीले तत्व पाए जाते हैं। इसमें अधिकतरता में ये तीन मुख्य जहरीले तत्व होते हैं:

स्कोपोलामाइन: यह तत्व धतूरा में पाया जाता है और मानसिक और शारीरिक प्रभावों का कारण बनता है। इसका सेवन करने से हैलुसिनेशन, डिल्यूजन, तरंगता, थकान, दौड़ते हुए दिल, विश्राम नहीं पाने की समस्या, और उच्च रक्तचाप जैसे लक्षण हो सकते हैं।

ह्योस्काइमिन: यह एक प्रकार का तत्व है जो धतूरा में पाया जाता है और प्रभावशाली हॉलुसिनोजेनिक गुणों का कारण बनता है। इसका सेवन करने से खयाली दृश्य, विपरीत महसूसी, अशांति, उच्च रक्तचाप, दिल की धड़कन की बढ़ती गति, और एक विशेष स्थान के अभाव की भावना हो सकती है।

अट्रोपिन: यह एक प्रकार का जहरीला एल्कलॉयड है जो धतूरा में पाया जाता है। इसका सेवन करने से मुंह सुखाना, बाध्यता, दूरदर्शिता, तरंगता, मूत्र संक्रमण, और तीव्र पेट दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं।

केतांग एक गूदेदार फल होता है जो आमतौर पर गहरे नीले रंग का होता है। इसका आकार छोटा होता है और उसकी सतह पर छोटे-छोटे खूबसूरत दाने होते हैं। इसका स्वाद खट्टा होता है और यह मुख्य रूप से आंटीमोनियम और आर्सेनिक जैसे जहरीले तत्वों की उच्च मात्रा में धारण करता है।

केतांग फल के बीज और अन्दर की बीज की आवृत्ति में ये जहरीले तत्व पाये जाते हैं। इन जहरीले तत्वों का सेवन करने से खांसी, सांस लेने में कठिनाई, पेट दर्द, उल्टी, चक्कर आना, मांसपेशियों का दुर्बल होना, और मौत की स्थिति हो सकती है।

केतांग फल और इसके अन्दर के बीज का सेवन बहुत हानिकारक हो सकता है और इसे बचना चाहिए। इसे सेवन करने से पहले ध्यान देना चाहिए और संभावित हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।


अकेला एक छोटा सफेद रंग का फल होता है जो गूदे में विषैला पदार्थ होता है। इसका आकार छोटा होता है और इसकी सतह हल्के से बदामी रंग की होती है। इसका अंदर गूदा और बीज होते हैं जिनमें विषैले तत्वों की मात्रा पाई जाती है।

अकेला फल में अट्रोपिन नामक जहरीला एल्कलॉयड पाया जाता है जो मानसिक और शारीरिक प्रभावों का कारण बनता है। इसका सेवन करने से मुँह सुखाना, बाध्यता, दूरदर्शिता, तरंगता, मूत्र संक्रमण, और तीव्र पेट दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं।

यह एक जहरीला फल होता है, और इसका सेवन करने से बचना चाहिए। विशेष रूप से इसे अप्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा सेवन करने से बचना चाहिए। सेवन से पहले सावधानी बरतनी चाहिए और यदि आपको किसी व्यक्ति द्वारा दिए जाने वाले अकेला फल की पहचान नहीं होती है, तो उसे न खाने की सलाह दी जाती है।

करोंदा एक छोटा, तीखा और अचारकारी फल होता है जो प्रकृति में गहरे लाल रंग का होता है। इसकी सतह पर छोटी-छोटी गांठें होती हैं और इसका स्वाद खट्टा और तीखा होता है। करोंदा फल में विषैले तत्वों की उच्च मात्रा पाई जाती है।

करोंदा फल के बीजों और पत्तियों में हाइड्रोसायनिक एसिड या प्रुसिक एसिड नामक जहरीला तत्व पाया जाता है। इस तत्व का कई रासायनिक औषधियों और कीटनाशकों में उपयोग होता है। इसका मुख्य उद्देश्य परजीवियों को नष्ट करना और फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है।

करोंदा फल के बीजों को सामान्यतया वनस्पति संशोधन में इस्तेमाल किया जाता है। यह उन्हें विषाणुकों से संरक्षित रखता है और वनस्पतियों की अधिकतम उत्पादकता को बढ़ाता है। इसके अलावा, करोंदा के फलों से चटनी, मरमलेड, जेली और शरबत बनाया जाता है। हालांकि, ध्यान दें कि इसे उचित तरीके से पकाकर खाना चाहिए, क्योंकि इसमें विषैले तत्व हो सकते हैं और इसका अधिक सेवन हानिकारक हो सकता है।

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