एक्टिंग के लिए इस एक्टर ने छोड़ी सरकारी नौकरी, 12 साल तक रहे है CM

एक्टिंग के लिए इस एक्टर ने छोड़ी सरकारी नौकरी, 12 साल तक रहे है CM
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मनोरंजन जगत में कई ऐसे स्टार्स हैं, जिन्होंने अभिनय के साथ राजनीति में भी अपना हाथ आजमाया। मगर सफलता नहीं मिली। 90 के दशक में एक ऐसे अभिनेता भी रह चुके हैं, जिन्होंने अभिनय के जगत में अपना लोहा मनवाया। यहां तक के अभिनय के लिए नौकरी भी छोड़ दी और फिर राजनीति में उतरे तो वहां भी खूब चमके। वही आज हम एक ऐसे एक्टर के बारे में बताने जा रहे है जो राजनीति के मैदान में उतरे तो उसमें भी सक्सेसफुल रहे। उन्होंने 17 फिल्मों में प्रभु श्री कृष्ण का किरदार किया था। उनके इस रिकॉर्ड को आज तक कोई तोड़ नहीं पाया है। वो कोई और नहीं बल्कि एनटी रामा राव हैं। 28 मई को उनकी बर्थ एनिवर्सरी होती है। वो ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने साउथ इंडस्ट्री में खूब नाम कमाया। कई शानदार फिल्में की। वो एक्टर ही नहीं डायरेक्टर एवं प्रोड्यूसर भी थे।

एनटी रामा राव साउथ सुपरस्टार जूनियर एनटीआर के दादा थे। उनका दक्षिण भारतीय फिल्म जगत में बहुत दबदबा रहा है। क्या आप जानते हैं कि एनटी रामा राव को उनके अंकल नंदमूरी रमैया ने गोद लिया था। पढ़ाई में अच्छे न होने के चलते उन्होंने तीसरे अटेम्प्ट में 12वीं क्लास पास की थी। फिर 20 वर्ष की आयु में उनकी शादी हो गई थी। इस शादी से उनके 8 लड़के और 4 लड़कियां थीं। वर्ष 1947 में उन्हें मद्रास सर्विस कमीशन में सब-रजिस्ट्रार की नौकरी मिली। इसमें उन्हें 190 रुपये महीने के मिल रहे थे। मगर उन्होंने अभिनय को प्राथमिकता दी और ज्वाइनिंग के 3 सप्ताह पश्चात् ही नौकरी छोड़ दी। तत्पश्चात, वर्ष 1949 में वो पहली बार ‘मन देशम’ नाम की फिल्म में एक पुलिसकर्मी के किरदार में दिखाई दिए। 

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस किरदार के लिए उन्हें 1 हजार रुपये मिले थे। बस फिर क्या था, फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने अपनी जिंदगी में दर्जनों फिल्मों का डायरेक्शन किया और 300 से अधिक फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा दिखाया। एनटी रामा राव ने कई नेशनल अवॉर्ड्स भी अपने नाम किए। वही बात यदि उनके राजनीतिक करियर की करें तो उन्होंने 1982 में तेलुगू देशम नाम की एक पार्टी बनाई एवं यहीं से अपनी शुरुआत की। वो आंध्र-प्रदेश की राजनीति का एक चमकता हुआ सितारा थे। 1984 में उन्होंने भारी बहुमत के साथ जीत हासिल की एवं अपनी सरकार बनाई। वो लोगों के दिलों में अपना ऐसा घर कर चुके थे कि वर्ष 1983 से लेकर 1994 तक 3 बार आंध्र प्रदेश के सीएम बने। उनकी लोकप्रियता इतनी अधिक थी कि वो पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी नेता थे, जो आंध्र-प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे तथा 12 वर्षों तक अपनी सरकार चलाई थी।

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