सजा देने के लिए पांचवी शताब्दी में ये थे क्रूर तरीके
सजा देने के लिए पांचवी शताब्दी में ये थे क्रूर तरीके
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आज के ज़माने की सजा तो कुछ भी नहीं है। पहले जैसी सज़ाए दी जाती थी वैसी सज़ाए अब नहीं दी जाती, लेकिन उनके बारे में जानकर आपको हैरानी जरूर होगी। और कहीं कहीं आज भी उन सजाओ में बदलाव नहीं हुआ है आज भी वैसी ही सजाए दी जाती है।आज हम आपको सजा देने के साइकोलॉजिक तरीके बताने जा रहे है। कुछ का उपयोग आज भी किया जाता है। 

1. स्टेस पोजिशन - इसमें अपराधी की बॉडी और मसल्स पर वेट रखकर उसे स्टेस पोजिशन में खड़ा रखते थे। कभी कभी उसे लोहे की बॉल या किसी दूसरी चीज़ पर खड़ा कर दिया जाता है।

2. म्यूजिक टॉर्चर - इसमें कैदी के सामने उसकी सहने की क्षमता से ज्यादा तेज म्यूजिक बजाया जाता है। स्पीकर को उसके कानो से बांध दिया जाता है और बहुत तेज म्यूजिक बजाया जाता है।

3. चाइनीज़ वाटर टॉर्चर - इसमें अपराधी को कुछ अलग तरीके से टॉर्चर किया जाता है। उसे फिजिकली चोटे नही पहुचाई जाती है बल्कि एक ऐसे नल के निचे खड़ा कर दिया जाता है। जहां से उसके ऊपर लगातार पानी की बून्द गिरती रहती है। या तेजधार पानी गिरता है। जिससे मानसिक यंत्रणा होती है।

4. दवाइयों से टॉर्चर करना - इस प्रकार का टॉर्चर मिडिल ईस्ट में किया जाता है। इसमें अपराधी को ड्रग्स और इंजेक्शन दिए जाते है। इस तरह उसे ड्रग्स की लत लग जाती है फिर उससे सवाल जवाब किए जाते है जिसके वो सही सही जवाब देता है और फिर उसे वापस ड्रग दिए जाते है।

5. अकेले छोड़ देना - इसमें अपराधी को अकेला छोड़ दिया जाता है। जिससे वह न तो कुछ कर सकता है न ही कहीं जा सकता है। और धीरे धीरे डिप्रेशन में चला जाता है।

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