ये है पद्म अवार्ड हासिल करने वाले गुमनाम हीरोज
ये है पद्म अवार्ड हासिल करने वाले गुमनाम हीरोज
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आज देश का 68 वा गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है. इस दौरान 89 पद्म पुरस्कारों में से 7 लोगों को पद्म विभूषण, 7 को पद्म भूषण और 75 को पद्मश्री से सम्मानित किया जायेगा. इन लोगो में कुछ ऐसे गुमनाम नाम भी शामिल है. जिन्हें कोई नहीं जनता. लेकिन इन लोगो द्वारा किये जा रहे काम हम सभी के लिए प्रेरणादायीं है. इसलिए इन लोगो को भी उतना ही सम्मान और पहचान मिलना आवश्यक है.

डॉक्टर दादी

- इंदौर की रहने वाली 92 वर्षीय भक्ति यादव इंदौर की पहली महिला डॉक्टर है. ये महिला लगातार पिछले 68 साल से (1948 से) अपने पेशेंट्स का इलाज मुफ्त में कर रही है. गाइनकोलॉजिस्ट डॉक्टर दादी ने हजारो बच्चो की सेफ डिलीवरी को भी अंजाम दिया है.

ब्लाइंड क्रिकेट टीम के कैप्टन

- कर्नाटक के शिमोगा में जन्मे शेखर जन्म से दृष्टिहीन थे. ९ साल की उम्र के बाद उन्हें धुन्दला-धुन्दला दिखने लगा था. इस बीच उन्होंने क्रिकेट खलेना शुरू किया. माँ-बाप का सपोर्ट भी मिला. लेकिन 12 साल की उम्र में सर से माँ और बाप दोनों का साया उठ गया. लोकल टूर्नामेंट में 46 बॉल में 136 और 249 रनों की पारी खेलने के बाद शेखर का चयन अंडर-18 ब्लाइंड क्रिकेट टीम मेें चुने गए. इस टूर्नामेंट में उन्हें मैन ऑफ़ द सीरीज चुना गया था. श्केहर के नेतृत्व में 2012 का टी20 वर्ल्ड कप और 2014 का वर्ल्ड कप जीत है.

76 साल की तलवारबाज महिला

- केरल की रहने वाली 76 साल की मीनाक्षी अम्मा देश की सबसे उम्रदराज महिला तलवारबाज है. वह 68 साल से ज्यादा समय से मार्शल आर्ट्स की ट्रिनिंग दे रही है.

एम्बुलेंस दादा करीमुल

- प. बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में रहने वाले करीमुल हक अपने गांव धालाबाड़ी में 24 घंटे की एम्बुलेंस सेवा देते है. वह अपनी बाइक पर लेकर हॉस्पिटल पहुंचाते हैं. साथ ही उन्हें फर्स्ट ऐड भी देते .

वृक्ष पुरुष रमैया

- तेलंगाना की रहने वाली 68 साल के दरिपल्ली रमैया अब तक 1 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगा चुकी है.

स्वच्छता दूत

- पुणे के डॉक्टर मापुस्कर स्वछता दूत के नाम से जाने जाते है. पुणे के देहू गांव में 1960 से ही सफाई अभियान शुरू किया. पूरे गाँव के लोगो को उन्होंने खुले में शौच करने से रोका. जिसके बाद 2004 में पूरे गांव में शौचालय बनवा दिए गए थे.

हाई-वे मसीहा

- गुजरात के रहने वाले डॉ. सुब्रतो दास को मेडिसिन्स में पद्म अवार्ड दिया जा रहा है. ये इंसान हाई-वे पर एक्सीडेंट में घायल होने वाले लोगो तक तुरंत मेडिकल सर्विस पहुचाते है.

फायर फाइटर

- 59 साल के बिपिन वालन्टियर फायर फाइटर पिछले 40 सालो से आग में फसे लोगो को बचा रहा है. एक हादसे में अपने भाई को खोने के बाद उन्होंने ये जिम्मा उठाया था.

चिंताकिंदी मल्लेशम

- तेलंगाना के चिंताकिंदी मल्लेशम ने लक्ष्मी ASU मशीन बनाई थी. इस मशीन 60% कारीगर सिल्क की सदियों का निर्माण कर रहे है.

मरियप्पन थंगवेलु

- रियो पैरालिंपिक्स 2016 में T-42 हाई जंप में गोल्ड जीतने वाले मरियप्पन अपनी दायीं टांग एक हादसे में खो देते थे.

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