यहां आज भी होती है चंदन की बारिश!
यहां आज भी होती है चंदन की बारिश!
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मालवा क्षेत्र स्‍थित मुक्तागिरी तीर्थ स्थल पर आज भी चंदन की वर्षा होती है. दिगंबर जैनियों का सिद्धक्षेत्र भारत के मध्य में, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है. मुक्त‍ा गिरी मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में आता है. सतपुड़ा पर्वत की श्रृंखला में मन मोहने वाले घने हरे-भरे वृक्षों के बीच यह क्षेत्र बसा है. जहां से साढ़े तीन करोड़ मुनिराज मोक्ष गए हैं.  

चंदन की वर्षा

एक हजार वर्ष पूर्व मंदिर क्रमांक 10 के पास ध्यान मग्न मुनिराज के सामने एक मेंढा पहाड़ की चोटी से गिरा. मुनिराज ने उसके कान में णमोकार मंत्र का उच्चारण किया. वह मेंढा मृत्यु के बाद स्वर्ग में देवगति प्राप्त होते ही मुनि महाराज के दर्शन को आया. तब से हर अष्टमी और चौदस को यहां केसर-चंदन की वर्षा होती है. इसी समय से इसे मेंढागिरी भी कहा जाता है.

मोतियों की वर्षा 

इस स्थान को मुक्तागिरी के साथ-साथ मेंढागिरी भी कहा जाता है. निर्वाण कांड में उल्लेख है कि इस क्षेत्र पर दसवें तीर्थंकर भगवान शीतलनाथ का समवशरण आया था. इसलिए कहा जाता है कि 'मुक्त‍ा गिरी पर मुक्ता बरसे. शीतलनाथ का डेरा.' ऐसा उस वक्त मोतियों की वर्षा होने से इसे मुक्तागिरी कहा जाता है.

इतिहास

एलिच‍पूर यानी अचलपुर में स्थित मुक्त‍ा गिरी सिद्धक्षेत्र को स्व. दानवीर नत्‍थुसा पासुसा ने अपने साथी स्व. रायसाहेब रूखबसंगई तथा स्व. गेंदालालजी हीरालालजी बड़जात्या के साथ मिलकर अंग्रेजों के जमाने में खापर्डे के मालगुजारी से सन् 1928 में यह मुक्तागिरी पहाड़ मंदिरों के साथ खरीदा था. 

इस मुक्त‍ा गिरी सिद्धक्षेत्र का इतिहास काफी रोमहर्षक है. कहा जाता है कि उस समय शिकार के लिए पहाड़ पर जूते-चप्पल पहन कर जाते थे और जानवरों का शिकार करते थे. इसी वजह से पवित्रता को ध्यान में रखते हुए यह पहाड़ खरीदा गया.

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