कोच्ची: केरल के सुप्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में 2 जनवरी को प्रवेश करने वाली दो महिलाओं ने सर्वोच्च अदालत में याचिका दाखिल करते हुए अपनी सुरक्षा की मांग की है. उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 18 जनवरी को सुनवाई करने वाला है. यह याचिका कनक दुर्गा और बिंदु अम्मानि ने दाखिल की है. याचिका में बताया गया है कि उनके मंदिर में प्रवेश करने के बाद से ही राज्य में हिंसा शुरू हो गई थी. इस कारण दोनों महिलाएं छिपकर रह रही थीं. वहीं कनक दुर्गा की 14 जनवरी को उसकी सास ने पिटाई भी कर दी थी.
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28 सितंबर 2018 को शीर्ष अदालत ने 4-1 के बहुमत से निर्णय सुनाया था. अदालत ने कहा था कि महिलाओं के साथ काफी लम्बे समय से भेदभाव किया जा रहा है. महिलाऐं पुरुष से कतई कमतर नहीं है. एक ओर हम महिलाओं को देवी के रूप में पूजते हैं, वहीं दूसरी ओर हम उनसे पक्षपात करते हैं. अदालत ने कहा था कि बायोलॉजिकल और फिजियोलॉजिकल कारणों से महिलाओं के धार्मिक विश्वास की आज़ादी को समाप्त नहीं किया जा सकता. तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा सहित चार जजों ने कहा था कि ये संविधान की धारा 25 के अंतर्गत मिले अधिकारों के खिलाफ है.
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हालांकि, न्यायमूर्ति इंदू मल्होत्रा ने बाकी चार जजों के फैसले से अलग निर्णय सुनाया था. उन्होंने कहा था कि धार्मिक आस्था के मामले में अदालत को दखलअंदाज़ी नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा था कि पूजा-पाठ और आस्था के सम्बन्ध में कोर्ट का दखल सही नहीं है. मंदिर ही यह निर्धारित करे कि पूजा का सही तरीका क्या होगा. मंदिर के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा था कि धार्मिक प्रथाओं को समानता के अधिकार के सही तरह से नहीं परखा जा सकता है, लेकिन बाकी चार जजों की राय अलग होने की वजह से अदालत ने महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दे दी थी.
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