सेटों के सेट बांकेबिहारी की रसोई है सूनी
सेटों के सेट बांकेबिहारी की रसोई है सूनी
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सेटों के सेट कहलाने वाले ठाकुर बांकेबिहारी जी के दर्शन का समय बढ़ाने को लेकर विवाद चल रहा है इस विवाद में सब उलझे पड़े है किसी का ध्यान प्रबंधन की ओर से चलने वाली उनकी रसोई नहीं पड़ा है जो डेढ़ साल से सूनी पड़ी है. करीब 135 करोड़ के मालिक बांके बिहारी अपने खाते से एक लड्डू भी नहीं खरीद सकते है .रसोई में बनने वाली भोग की परंपरा का पालन दानदाता की रसोई से आने वाले भोग से या फिर सेवा गुसाईं की ओर से होता है.

आपको बता दें कि बांके बिहारी मंदिर में प्रबंध कमेटी ने 2013 में ठाकुरजी की रसोई शुरू की थी.जो अब सुनी पड़ी है बताया जाता है कि विवाद खड़ा होने से भंग हुई प्रबंध कमेटी के कारण लगभग तीन साल चलने के बाद यह रसोई जुलाई 2016 में बंद हो गई. तब से डेढ़ साल हो गए मंदिर का प्रबंधन सदर मुंसिफ के पास है. और ठाकुरजी के भोग को भोजन की व्यवस्था दूसरे ही तरीकों से की जा रही है.

इस मामले में मंदिर के एक सेवायत ने बताया कि ठाकुर जी को चौबीस घंटे में आठ भोग लगाए जाते हैं। चार भोग सुबह और चार शाम को. सुबह बाल भोग, उत्थापन, श्रृंगार और राजभोग कराया जाता है. शाम को फिर जब लाला गोचारण कर वापस लौटते हैं तो उन्हें बाल भोग, उत्थापन भोग लगाया जाता है. रात में शयनभोग और दूधभोग दिया जाता है.

प्रबंध कमेटी के पूर्व प्रवक्ता गोपेश गोस्वामी के मुताबिक, बांके बिहारी के वृंदावन की कई बैंकों में एक दर्जन से भी अधिक खाते हैं. दूसरी बार जुलाई 2016 में कमेटी भंग होने के समय तक इन खातों में करीब 120 करोड़ रुपए की धनराशि थी. ठाकुरजी की भेंट आदि से प्रति माह लगभग एक करोड़ की आमदनी होती है. इस प्रकार अब उनके खातों में करीब 135 करोड़ की धनराशि होने का अनुमान है.

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