मानसिकता से ही मानव जीवन होता है उन्नत
मानसिकता से ही मानव  जीवन होता है उन्नत
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मानव जीवन उसकी मानसिकता पर ही टिका हुआ है. वह अपने जीवन में मन के भावों से ही उन्नति और अवनति को हासिल करता है. मानव जीवन से जुडी दांस्ता को  इस कहानी के माध्यम से अवगत कराया जा रहा है .एक बार एक आदमी अपने पुत्र के साथ भ्रमण करने निकला, तभी उन्होंने रास्ते में खड़े कुछ हाथियों को देखा और जब उस बालक की नजर उन हाथियों के पैरों में पडी तो उन्होंने देखा की उनके पैरों  में रस्सियाँ  बंधी हुई है.

सारे हाथी बड़े ही शांत भाव से खड़े पेड़ों की पत्तियां खा रहे थे। उन हाथियों को देख वह बालक आश्चर्यचकित हो गया और कहने लगा कि पिता जी देखो तो ज़रा ये हाथी कैसे शांत है. इनके पैरों में इतनी पतली रस्सी बंधी हुई है. इसके बाबजूद भी ये बड़े ही शांत भाव से खड़े है. विचरण के लिए यहां वहां क्यों नहीं जाते है .इनके लिए तो बहुत बड़ी बड़ी और मजबूत रस्सी भी कमजोर पड़ जाती है. फिर तो ये कमजोर है. पर ऐसा क्यों ? 

उस बालक के द्वारा पूछे गए सवाल का पिता जी कोई जबाब न दे सके. और वे सोच में पड़ गए तभी वहां खड़े एक महावत ने उस बच्चे की सभी बातों को सुन उनके सामने इस वार्तालाप का निराकरण किया और कहने लगे की बेटा इन्हे काबू में रखने के लिए और शांत भाव से रहने के लिए बचपन से ही कुछ सीख दी जाती है .और यह सीख अब इनकी आदत में आकर इनके मन मष्तिक में बैठ जाती है. और ये उसी चाल में अपना जीवन व्यतीत करने लगते है. 

बचपन में ही इन्हे रस्सियों के माध्यम से बांधा जाता है. उस दौरान तो ये बहुत यहां वंहा भागने का प्रयास करते है पर रस्सी के कारण भाग नहीं पाते और धीरे धीरे इनकी आदत ऐसी हो जाती है. इन्हे लगता है कि हम मजबूती से बंधे हुए है. इनकी मानसिकता कुछ ऐसी हो जाती है.

इसलिए यह बिलकुल सत्य है की मानसिकता से ही सब संभव है. आगे बढ़ना और पीछे हटना , हम किसी कार्य को करने न करने , होगा न होगा की मानसिकता अपने मन में बना लेते है. जिसकी वजह से हम उन्नति या अवनति को हासिल करते है . जीवन में आगे बढ़ने के लिए सबसे अहम है हमारी मानसिकता का अच्छा होना .

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