'मंदिर की मूर्तियां शक्तिहीन..', महिला आरक्षण पर बोलते हुए 'हिन्दू धर्म' पर क्यों पहुँच गए राहुल गांधी ?
'मंदिर की मूर्तियां शक्तिहीन..', महिला आरक्षण पर बोलते हुए 'हिन्दू धर्म' पर क्यों पहुँच गए राहुल गांधी ?
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नई दिल्ली: संसद के लोकसभा और राजयसभा में नारी शक्ति वंदन विधेयक पास होने के बाद कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिल को लेकर एक प्रेस वार्ता की। हालाँकि, शायद पहली बार कांग्रेस ने सरकार के किसी बिल पर समर्थन दिया है, लेकिन समर्थन देने के बावजूद राहुल ने आरोप लगाया है कि यह विधेयक ''जाति जनगणना की मांग से ध्यान भटकाने की रणनीति'' है। राहुल ने कहा कि विधेयक दो फुटनोट के साथ आता है कि विधेयक के कार्यान्वयन के लिए जनगणना और परिसीमन करना होगा। उन्होंने कहा कि, ''इन दोनों में वर्षों लगेंगे, सच तो यह है कि आरक्षण आज लागू हो सकता है। यह कोई जटिल मामला नहीं है, लेकिन सरकार ऐसा नहीं करना चाहती। सरकार ने इसे देश के सामने पेश कर दिया है लेकिन इसे अब से 10 साल बाद लागू किया जाएगा। कोई नहीं जानता कि यह लागू भी होगा या नहीं। यह ध्यान भटकाने वाली रणनीति है, ध्यान भटकाने वाली रणनीति है।'

महिला आरक्षण को ओबीसी आरक्षण से उलझाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि, 'ऐसा क्या है जिससे आपको ध्यान हटाया जा रहा है? OBC जनगणना से। मैंने संसद में एक संस्था के बारे में बात की, जो भारत सरकार चलाती है - कैबिनेट सचिव और सचिव। मैंने पूछा कि 90 में से केवल तीन लोग OBC समुदाय से क्यों हैं? मुझे समझ नहीं आता कि पीएम मोदी हर दिन OBC के बारे में बोलते हैं परन्तु उसने उनके लिये क्या किया?' राहुल ने आगे कहा कि OBC सांसदों और विधायकों के लिए आरक्षण का सवाल नहीं है और पूछा कि 90 सचिवों में से OBC वर्ग से केवल 3 ही क्यों हैं। इस दौरान पत्रकारों ने राहुल गांधी से यह भी सवाल किया कि क्या उन्हें इस बात का अफसोस है कि कांग्रेस द्वारा लाए गए महिला आरक्षण बिल में OBC कोटा प्रदान नहीं किया गया था। इस पर राहुल ने कहा कि, '100 फीसदी अफसोस है। ये तभी किया जाना चाहिए था। हम इसे पूरा करेंगे।' बता दें कि, महिला आरक्षण का बिल बीते 27 वर्षों से लंबित पड़ा हुआ था, इस दौरान न जाने कितनी सरकारें आई और गईं, 10 वर्षों तक पीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार रही, लेकिन वो भी बिल को पारित नहीं करवा पाई। 

वहीं, जातीय जनगणना की मांग करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है। फिर उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या भाजपा के कोई सांसद कोई फैसला लेते हैं, क्या वे कोई कानून बनाते हैं या कानून बनाने में हिस्सा लेते हैं? बिल्कुल नहीं। न कांग्रेस सांसद, न भाजपा सांसद, न कोई और सांसद। सांसदों को मंदिरों में मूर्ति बना दिया गया है। OBC सांसदों को (संसद में) मूर्तियों की तरह भर दिया गया है, लेकिन उनके पास कोई शक्ति नहीं है। देश चलाने में कोई योगदान नहीं है। यह एक सवाल है जो मैंने उठाया है।'

राहुल ने कहा कि, 'प्रत्येक OBC युवा को यह समझना चाहिए कि क्या आपको इस देश को चलाने का मौका मिलना चाहिए, हाँ या नहीं? यदि हाँ, तो क्या आपकी जनसंख्या 5% है? और यही वह चीज़ है जिससे भाजपा ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।' राहुल गांधी ने प्रेस वार्ता में मांग की है कि बिल से परिसीमन का प्रावधान हटाया जाना चाहिए। हालाँकि, कांग्रेस को ये मांग सदन में रखनी थी। उन्होंने कहा कि, "क्या आप भविष्य में सरकार में OBC और महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण का प्रावधान करने जा रहे हैं? उन्होंने यह भी दावा किया कि कानून को आज से ही लागू करना बहुत संभव है /

बता दें कि, कांग्रेस शासन के दौरान कांग्रेस सांसदों और UPA (कांग्रेस गठबंधन) में उसके सहयोगियों ने महिला आरक्षण विधेयक को पारित होने से रोक दिया था। विपक्षी दल, जिनमें UPA के सदस्य भी शामिल थे, जैसे कि समाजवादी पार्टी, RJD, LJP और JDU, ये कुछ ऐसे दल थे जिनके नेताओं ने संसद में जोरदार विरोध किया और विधेयक के पारित होने को रोक दिया था। अटल बिहारी सरकार ने इस विधेयक को कम से कम छह बार संसद में पेश किया, लेकिन कांग्रेस की बदौलत इसे रोक दिया गया। बहुमत के अभाव में, वाजपेयी सरकार आम सहमति के लिए विपक्ष पर निर्भर थी।

राहुल गांधी की 'मूर्ति' टिप्पणी हिन्दू विरोधी क्यों :-

मोदी सरकार को घेरने के चक्कर में राहुल गांधी ने एक ऐसा बयान दे दिया, जो अत्यधिक हिंदू-विरोधी था। यह बात स्पष्ट करने की कोशिश करते हुए कि सांसद कानून बनाने के माध्यम से संसद में किसी भी उत्पादक कार्य में योगदान नहीं दे रहे हैं, राहुल गांधी ने उनकी तुलना मंदिर में मूर्तियों से की। उन्होंने कहा कि, ''बिल्कुल नहीं। न कांग्रेस सांसद, न बीजेपी सांसद, न कोई और सांसद। सांसदों को मंदिरों में मूर्ति बना दिया गया है। ओबीसी सांसदों को (संसद में) मूर्तियों की तरह भर दिया गया है लेकिन उनके पास कोई शक्ति नहीं है। देश चलाने में कोई योगदान नहीं है। यह एक सवाल है जो मैंने उठाया है।'

राहुल गांधी ने अनिवार्य रूप से कहा कि संसद में सांसद 'मंदिर में मूर्तियों की तरह शक्तिहीन' हैं। यह वही कहावत है, जिसका इस्तेमाल कई बार हिन्दू धर्म के विरोधियों द्वारा हिंदू आस्था के मूल तत्व मूर्तिपूजा को नकारने और उसका अपमान करने के लिए किया जाता है, कई बार आतंकवादी भी यही बात बोल चुके हैं। कट्टरपंथियों और वामपंथियों द्वारा अक्सर तर्क दिया जाता है कि मंदिर में मूर्तियाँ केवल पत्थर हैं और अंधविश्वास को बढ़ावा देने के अलावा उनका कोई उद्देश्य नहीं है। तर्क की यह पंक्ति सनातन धर्म और सामान्य रूप से हिंदू आस्था की वैधता को नकारने और अनुष्ठानिक हिंदू धर्म का पालन करने वालों का अपमान करने तक फैली हुई है।

राहुल गांधी ने तर्क दिया कि हिंदू जिन मूर्तियों की पूजा करते हैं, वे शक्तिहीन और 'बेकार' हैं, जैसे संसद में सांसद - कहने का मतलब है - उनका कोई उद्देश्य नहीं है। लेकिन, शायद राहुल को पता नहीं कि, हिंदू मूर्तियों की पूजा अवश्य करते हैं और मानते हैं कि वे परमात्मा की आत्मा की अभिव्यक्ति हैं। मंदिर में प्रत्येक मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा नामक एक अनुष्ठान से गुजरती है, जिसके बाद, वह अनिवार्य रूप से एक 'मूर्ति' नहीं रह जाती है, बल्कि परमात्मा का एक अवतार बन जाती है - जिसमें परमात्मा उसमें आध्यात्मिक सार का संचार करता है।

राहुल गांधी के लिए यह दावा करना कि मूर्तियाँ निरर्थक हैं, अनिवार्य रूप से इसका मतलब यह है कि उनका मानना है कि मूर्ति पूजा, सनातन धर्म का मूल, केवल एक अंधविश्वास है और इसका कोई उद्देश्य नहीं है। राहुल गांधी का यह बयान, मूल रूप से हिंदुओं के खिलाफ कट्टरपंथियों और मिशनरियों की हिंदूफोबिक एजेंडे को ही आगे बढ़ाता है। हालाँकि, यह पहली बार नहीं है कि राहुल गांधी ने हिंदूफोबिक टिप्पणी की है। 2014 में महिला सुरक्षा पर बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि लोग मंदिर जाकर देवी की पूजा करते हैं, महिलाओं को मां-बहन कहते हैं, लेकिन सच तो ये है कि वही लोग महिलाओं से छेड़छाड़ करते हैं। हाल ही में कांग्रेस की सहयोगी DMK के नेता उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को समूल नष्ट करने की बात कही थी, जिसपर कुछ कांग्रेस नेताओं ने समर्थन भी किया था, लेकिन मोहब्बत की दूकान खोलने का दावा करने वाले राहुल उस मुद्दे पर मौन रहे थे। 

ऐसा लगता है कि राहुल गांधी में समाज की हर बुराई को हिंदू समुदाय से जोड़ने और किसी भी अन्य समुदाय की हर बुराई से बचाने की अद्भुत क्षमता है। कांग्रेस ने 26/11 के मुंबई आतंकी हमले पर राजनीति की थी और इसे हिन्दू आतंकवाद नाम दिया था। उस समय कांग्रेस के प्रमुख नेता दिग्विजय सिंह ने 26/11 हमले को RSS की साजिश बताते हुए किताब लॉन्च कर दी थी। हालाँकि, अजमल कसाब के जिन्दा पकड़े जाने से यह पूरा खेल उजागर हो गया, कसाब ने खुद कबूला कि उसे पाकिस्तान ने जिहाद करने के लिए भेजा था। 

इसके अलावा, एक और विकीलीक्स केबल थी, जिससे पता चला कि राहुल गांधी ने विदेश यात्रा की थी और दावा किया था कि हिंदू उग्रवाद मुस्लिम उग्रवाद और आतंकवाद से भी बदतर है। यह टिप्पणी 2009 में की गई थी। इसलिए, यह स्पष्ट है कि राहुल गांधी के पास हिंदू समुदाय को लक्षित करने वाली हिंदू-फोबिक टिप्पणियां करने और खुद को उन तत्वों के साथ जोड़ने का एक लंबा इतिहास है, जो आदतन हिंदू-फोबिक टिप्पणियां करते हैं। इस उदाहरण में भी, राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला करने के उत्साह में, हिंदू समुदाय और उनकी आस्था का अपमान किया है।

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