नोटबन्दी का एक माह, सड़क से संसद तक समस्या बरकरार
नोटबन्दी का एक माह, सड़क से संसद तक समस्या बरकरार
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नई दिल्ली : 500 और 1000 रुपए को बन्द करने की घोषणा को आज एक माह हो गया लेकिन सड़क से लेकर संसद तक ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है, जहाँ सड़क पर जनता एटीएम से अपने ही नोटों को पाने को लेकर परेशान है, तो वहीं संसद में एक माह से संसदीय कार्य ठप्प है और गतिरोध जारी है.

इधर, सड़क पर जनता अपने ही नोटों को पाने के लिए अब भी बैंको और एटीएम की कतार में लगी हुई है. कई एटीएम में अभी भी व्यवस्था सुधार की जरूरत है. घण्टों कतार में लगने के बाद भी कई जगह लोगों को एटीएम से नोट नहीं मिल रहे हैं. सच पूछा जाए तो नोटबन्दी को लेकर एक माह बाद भी दृश्य धुंधला ही नजर आ रहा है. जहाँ सरकार अनुमान लगाने में विफल दिखाई दे रही है. वहीं जनता के सरकार के पक्ष में खड़े दिखाई देने के बाद भी विपक्ष केवल विरोध के लिए विरोध कर रहा है.

उधर, संसद में भी एक माह में कोई संसदीय कार्य नहीं हुआ है और गतिरोध जारी है. गतिरोध को खत्म करने के लिए स्पीकर सुमित्रा महाजन द्वारा प्रश्नकाल स्थगित कर बिना किसी नियम के लोकसभा में चर्चा शुरू करने के प्रस्ताव पर कांग्रेस सकारात्मक रुख तो दिखा रही है, लेकिन उसके आचरण पर संदेह है, क्योंकि विपक्ष 8 दिसंबर को नोटबंदी के एक महीना पूरा होने पर संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने काली पट्टी लगाकर विरोध का फैसला किया है, जबकि सरकार ने चर्चा से भाग रहे विपक्ष को चुनौती दी कि साहस है तो चर्चा में भाग लें.

कल बुधवार को भी राज्यसभा में विपक्ष के गुलाम नबी आजाद, सीताराम येचुरी और आनंद शर्मा ने नोटबंदी से लोगों को अपने ही पैसे के लिए हो रही परेशानियों का जिक्र किया तो उधर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष को बहस की चुनौती  दी, लेकिन विपक्ष ने पहले सरकार की अपील और फिर चुनौती दोनों की अनदेखी कर दी. दरअसल विपक्ष खुद भटका हुआ है. हंगामे की वजह से दोनों सदनों की कार्रवाई स्थगित कर दी गई.

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हंगामे से नाराज हुये...

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