इन दिनों बाजार में मिलने वाले सिंथेटिक रंगों में मिलाए जाने वाले टॉक्सिन और रसायन कई समस्याओं के कारण बन सकते हैं. इन रंगों में ऑक्सीडाइज्ड मेटल्स या इंडस्ट्रियल डाई होते हैं, जो हमारी सेहत को हानि पहुंचा सकते हैं. सिंथेटिक रंगों से त्वचा का बदरंग होना, कॉन्टेक्ट डर्मिटाइटिस (त्वचा की एलर्जी), एब्रेशन(त्वचा का छिल जाना), इरिटेशन (त्वचा में या आंखों में जलन या असहज महसूस करना), इचिंग(खुजली होना), ड्राइनेस (त्वचा या नेत्रों में सूखापन महसूस होना) और फटी हुई त्वचा सरीखी समस्याएं पैदा हो जाती हैं.
ब्लैक रंग में केमिकल लीड ऑक्साइड शामिल हो सकते हैं, जिससे कुछ स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं. ग्रीन रंग में कॉपर सल्फेट शामिल हो सकता है जिससे आंखों में एलर्जी की समस्या पैदा हो सकती है पर्पल रंग में क्रोमियम आयोडाइड हो सकता है जिससे ब्रॉन्कियल अस्थमा और एलर्जी की समस्या पैदा हो सकती है. सिल्वर रंग में एल्यूमीनियम ब्रोमाइड शामिल हो सकता है, जो त्वचा संबंधी रोग पैदा कर सकता है.
सुबह की धुप होती है कैल्शियम का अच्छा स्रोत