अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमिटी ने जमा की अपनी रिपोर्ट, जानिए क्या कहा ?
अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमिटी ने जमा की अपनी रिपोर्ट, जानिए क्या कहा ?
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नई दिल्ली: अमेरिकी शार्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg) की रिपोर्ट सामने आने के बाद अडानी ग्रुप के खिलाफ जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ पैनल ने कहा है कि कीमतों में गड़बड़ी को लेकर पहली नजर में किसी तरह की रेगुलेटरी कमी नहीं दिखी है। SC  की समिति ने कहा है कि इस स्तर पर नियमों के उल्लंघन का निष्कर्ष निकालना संभव नहीं है।

 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट द्वारा गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि बाजार नियामक सेबी (SEBI) को अडानी ग्रुप की संस्थाओं की अपनी जाँच में कुछ नहीं मिला है। विशेषज्ञ पैनल ने कहा कि हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट से पहले अडानी ग्रुप के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन के प्रमाण मिले हैं। इससे यह निष्कर्ष निकालना संभव नहीं कि कीमतों में हेराफेरी के बारे में नियामकीय नाकामी हुई है या नहीं। पैनल की रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि अनुभवजन्य आँकड़ों से पता चलता है कि अडानी के लिस्टेड शेयरों में खुदरा निवेशकों का निवेश 24 जनवरी 2023 के बाद बढ़ा है। यह वह दिन था जब हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप को लेकर अपनी रिपोर्ट जारी की थी।

पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि विधायी पक्ष की नियामक नाकामी के निष्कर्ष पर पहुँचना कठिन है, मगर एक प्रभावी प्रवर्तन नीति की जरूरत है। इसलिए, सर्वोच्च न्यायालय की सलाह है कि प्रवर्तन नीति SEBI द्वारा अपनाई गई विधायी नीति के अनुरूप होनी चाहिए। विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति को एक ही दलों के बीच कई बार कृत्रिम ट्रेडिंग का कोई पैटर्न नहीं मिला। रिपोर्ट के मुताबिक, 'एक पैच में जहाँ कीमत बढ़ी, वहाँ छानबीन में पता चला कि शुद्ध विक्रेता विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) थे। एक निवेश इकाई ने एक पैच में जितनी खरीदारी की थी, उससे कहीं ज्यादा अन्य प्रतिभूतियों को खरीदा था। इसलिए, इसका कोई सुसंगत पैटर्न नहीं था।'

 

दूसरी तरफ, यह भी कहा गया कि SEBI ने पाया है कि कुछ संस्थाओं ने रिपोर्ट के प्रकाशन से पहले शॉर्ट पोजिशन बना ली थी और कीमत गिरने के बाद उन्हें फायदा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, 'तमाम पक्ष अभी भी जाँच के दायरे में हैं और इसलिए समिति गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं करती है।' रिपोर्ट में अडानी ग्रुप द्वारा खुदरा निवेशकों को राहत देने के लिए उठाए गए आवश्यक कदम की भी प्रशंसा की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टियों ने शपथ पर पुष्टि की है कि FPI (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश) निवेश अदानी ग्रुप द्वारा वित्त पोषित नहीं हैं। SEBI ने यह साबित नहीं किया है कि उसके संदेह को एक ठोस मामले में तब्दील किया जा सकता है।

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