Sep 08 2015 03:23 PM
नई दिल्ली. भारत की विश्वसनीय न्यायप्रणालिका तंत्र सुप्रीम कोर्ट ने एक भ्रष्टाचार मामले की सुनवाई करते हुए कहा की भ्रष्टाचार के मामले में किसी को भी सजा सुनाते वक्त कोई माफी या क्षमा नहीं दी जाए. कोर्ट ने इस प्रकार सभी अदालतों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा है की भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के मामले में दोषियों को किसी भी प्रकार से छोड़ना नही चाहिए. 1992 के इस भ्रष्टाचार मामले में बस कंडक्टर पर 25 लोगों को बेटिकट यात्रा की अनुमति देने का आरोप है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में श्रम अदालत और इलाहाबाद हाई कोर्ट के उन निष्कर्षों को भी खारिज कर दिया, जिसके आधार पर कंडक्टर की बहाली के आदेश दिए गए थे.
कोर्ट ने कहा की, 'अनुशासनहीनता के इस तरह के मामलों में निगम को वित्तीय नुकसान होता है. तथा इसके लिए उन पर पर्याप्त दंड लगाना चाहिए. तथा ऐसे मामले में अगर कोर्ट ढीलपोल करेगी तो लोगो का विश्वास टूटता है . कोर्ट ने कहा की ऐसे मामले में कोर्ट को मांफी या क्षमा नही दी जाए भारत में भ्रष्टाचार की दर लगातार बढ़ रही है व इसके कारण प्रशासन तक का नैतिक स्तर दूषित हो गया है.
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