सुनंदा पुष्कर हत्याकांड: तीसरी पत्नी की मौत मामले में फिर घिरे शशि थरूर, हाई कोर्ट पहुंची दिल्ली पुलिस
सुनंदा पुष्कर हत्याकांड: तीसरी पत्नी की मौत मामले में फिर घिरे शशि थरूर, हाई कोर्ट पहुंची दिल्ली पुलिस
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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार (28 नवंबर) को कांग्रेस सांसद शरूर थरूर को उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में आरोप मुक्त करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ दिल्ली पुलिस की याचिका में देरी की माफी पर सुनवाई टाल दी। यह मामला न्यायमूर्ति स्वर्णकांत शर्मा की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। हालाँकि, चूँकि जज अपने खराब स्वास्थ्य के कारण छुट्टी पर थीं, इसलिए सुनवाई 16 जनवरी, 2024 तक के लिए टाल दी गई। बता दें कि, सुनंदा, शशि थरूर की तीसरी पत्नी थीं, पहली दो पत्नियों से उनका तलाक हो चुका है

बता दें कि, दिसंबर 2022 में, दिल्ली पुलिस ने थरूर को उनकी पत्नी की मौत के मामले में बरी करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया है। 18 अगस्त, 2021 को राउज़ एवेन्यू कोर्ट की विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने थरूर को दिल्ली पुलिस द्वारा लगाए गए सभी आरोपों से बरी कर दिया था। 17 जनवरी 2014 की रात को रहस्यमय परिस्थितियों में दिल्ली के एक लक्जरी होटल के एक कमरे में शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर मृत पाई गई थीं। दोनों पति-पत्नी, थरूर के आधिकारिक बंगले में कुछ नवीकरण कार्य के कारण होटल में रुके हुए थे। सुनंदा के अपने कमरे में मृत पाए जाने के बाद दिल्ली पुलिस द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की गई थी।

2019 में, दिल्ली पुलिस ने थरूर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498A (किसी महिला के पति या रिश्तेदार द्वारा उसके साथ क्रूरता करना), 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) या वैकल्पिक रूप से 302 (हत्या) के तहत आरोप तय करने के लिए दबाव डाला था। वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा, शशि थरूर की ओर से पेश हुए जबकि अतिरिक्त लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव राज्य की ओर से पेश हुए। 

थरूर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील ने दलीलों के दौरान अदालत को बताया था कि SIT द्वारा की गई जांच ने थरूर को उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से बरी कर दिया है। उन्होंने यह तर्क देते हुए थरूर को मामले से बरी करने की भी मांग की थी कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498 ए या धारा 306 के तहत मामले में उन्हें फंसाने वाले राजनेता के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। जबकि अभियोजन पक्ष ने अदालत से आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 221 के संदर्भ में मुकदमे के प्रथम दृष्टया अस्तित्व के आधार पर थरूर के खिलाफ आरोप तय करने का आग्रह किया था।

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